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________________ ( १७६ ) तथा 'श्री अथदेवशास्त्रगुरु की भाषा पूजा" में अत्यानुप्रास का प्रयोग द्रष्टव्य है । उatest शती के पूजाकार बुम्बावन अनुप्रास विशेषज्ञ हैं उन्होंने एक ही छंद में अनुप्रास के विभिन्न भेदों छेका, वृत्य, अन्त्य - को 'श्रीमहावीर स्वामी पूजा' नामक कृति में व्यंजित किया है । इस शती की 'श्रीचन्द्रप्रभुजिनपूजा" 'श्रीपंचकल्याणक पूजा पाठ४, 'श्री नेमिनाथजिनपूजा" नामक पूजाकृतियों में छेकानुप्रास का, 'श्रीकु थुनाथ जिनपूजा', 'श्री अनंतनाथ १. प्रथम देव अरहत सुश्रुत सिद्धान्त जू । गुरू निरग्रन्थ महंत सुकतिपुर पंथजू ॥ - श्री अथदेव शास्त्र गुरू की भाषा पूजा, जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, न० कलकत्ता-७, पृष्ठ १६ । द्यानतराय, सगृहीतग्रंथ६२, नलिनी सेठ रोड, २. झनन झनन झनन झनन । सुरलेत तहाँ तननं तननं ॥ -- -श्री महावीर स्वामीपूजा, वृन्दावन, सगृहीत ग्रंथ राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ १३७ । ३. चारु चरन आचरन, चरन चित-हरन चिह्न चर । - श्री चन्द्रप्रभ जिनपूजा, वृन्दावन, सगृहीतग्रथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, १६५७, पृष्ठ ३३३ । ४. कमल केवरी कुन्द केतकी चपा मरूआ सार । - श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित, जैन शोध अकादमी, अलीगढ़ मे सुरक्षित । ५. करि चित चातक चतुर चर्चित जगत हूँ हित धारिके । - श्री नेमिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सगृहीतग्रंथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, १६५७, पृष्ठ ३६६ । ६. श्री फल सहकार, लौंग अनारं, अमल अपारं, सब रितके । - -श्री कुम्बुनाथ जिनपूजा, बस्तावररत्न, संग्रहीत ग्रंथ, ज्ञानपीठ पूजांजलि अयोध्याप्रसाद गोवलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस १६५७, पृष्ठ ५४४
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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