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________________ ( १०० ) Rug का भी LIN agrat पर भी पूजाओं की रचना हुई है। इस ि असल पूछा, रमत द्वारा विरचित भी रक्षा पूजा का अतिशय महत्व है। श्री रक्षाबन्धन पूजा में अनंतनाथ गुणों का विस्तer कर केवलज्ञान प्राप्ति होने की चर्चा की गई ture के उपरान्त अनन्वसूत्र बाँधने की परिपाटी भी है ।" इसी र श्री रक्षा बन्धन पूजा का आधार मुनियों की सुरक्षा-कावना रही है। amenterर्य आदि सात सौ मुनियों ने भयंकर उप को सहन कर neteen की कीति स्थापित की है।" इस पूजा पाठ से पूजक को की प्राप्ति होती है ।" साधु भक्ति के लिए इस शताब्दि में भी बेवशास्त्र गुरु पूजा के अति श्री बावली पूजा का प्रणयन अपना अतिशय महत्व रखता है । इस पूजा में श्री बाहुबली को के गुणों का न्तिवन कर मन काम से सक्ति को गई है। भक्ति के लिए भी इलिस त्यालय पूजा, शक की रचना मूल्यवान है ।" १ - जय अनंतनाथ करि अनंतवीर्य । हरि घाति कर्म धरि अनंतत्रीयं ॥ उपजायो केवल ज्ञान भान । प्रभु लखे चचार सब सु जान ।। - श्री अनंतवत पूजा, सेवक, जन पूजा पाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ २६८ २ - श्री अकम्पन मुनि वादि सब सात से । कर विहार हस्थनापुर आए सात से ।। तहां भयो उपसर्ग बड़ो दु काज जू । शान्तभाव से सहन कियो मुनिराज जू ॥ - श्री रक्षाबन्धन पूजा, रघुसुत, राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटल वर्क्स, अलीगढ़, प्रथम संस्करण, १९७६ ई०, पृष्ठ ३६२ । ३ - श्री रक्षाबन्धन पूजा, रघुसुत, वही, पृष्ठ ३६७ । ४- श्री बाहुबली पूजा, दीपचन्द, नित्यनियम विशेष पूजा पाठ सह सम्पादक व प्रकाशक - ० पतासीबाई जैन, ईसरी बाजार (हजारी बाग पृष्ठ ६२ । · ४ - श्री मत्रिम संस्थालय पूजा, नेम, जैन पूजामम् संग्रह भगवन्द्र पाटनी, नं० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, २५१ ।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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