SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हो शिव के लिए प्रेरणा भी मिलती है। इसी परम्परा में श्री सोमागिरि पूका भी सोनागिरि क्षेत्र की बंदना करने के लिए प्रेरणा देती है। सोना. गिरि दतिया स्टेशन से प.वं रेलवे स्टेशन पर स्थित है। यहां से पांच करोड़ से अधिक मुनि मुक्त हैए साथ ही तीर्थकर चन्द्र प्रभु भी निर्वाण को प्राप्त (ए। इस क्षेत्र को बन्दनात्मक महिमा इस पूजा के पठन तथा भवन करने मात्र से प्राणी को शिवपुर का मार्ग प्रशस्त होता है। सरस्वती पूजा-भक्ति में तत्त्वार्थ सूत्र की पूजा का बड़ा महत्व है। तत्वार्य सूत्र में अध्याय है, जिनमें जैन धर्म का पूर्ण तात्विक विवेचन को सूत्रात्मक शैली में अभिव्यक्त किया है। इसी मौलिक परम्परा में बत१-धन्य धान्यादिक शर्म इन्द्रपद लहे सो शर्म अतीन्द्री बाय । अजर अमर अविनाशी शिवथल वर्णी दौल रहे शिर नाय ।। -श्री पावापुर सिद्ध क्षेत्र पूजा, दौलतराम, जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १४६ ।। २-जैन तीर्थ और उनकी यात्रा, श्री कामता प्रसाद जैन, परिषद् प्रकाशन, दिल्ली, तृतीय संस्करण सन् १९६२, पृष्ठ १०३। .३-पदमद्रह को नीर ल्याय गंगा से भरके । कनक कटोरी माहि हेम थारन में धरके ॥ सोनागिरि के शीश भूमि निर्वाण सुहाई। पंच कोडि अरू अर्द्ध मुक्ति पहचे मुनिराई । चन्द्र प्रभु जिन आदि सकल जिनवर पद पूजो। स्वर्ग मुक्ति फल पाय जाय अविचल पद हजो॥ -श्री सोनागिरि सिद्ध क्षेष पूजा, आशाराम, जन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, ६२, नलिनीसेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १५० । ४-सोनागिरि जयमालिका, लघुमति कहो बनाय । पढ़े सुने जो प्रीति से, सो नर शिवपुर जाय । -श्री सोनागिरि सिद्धक्षेत्र पूजा, आशाराम, जंन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्सा-७, पृष्ठ १५४ ।। ५-तत्त्वायंसूत्र , उमास्वामी, भारत जैन महामण्डल, वर्धा, द्वितीय संस्करण १९५२ ई०। ६-पदव्य को जामें कहो जिनराज वाक्य प्रमाण सों। किय तत्त्व सातों का कथन जिन आप्त आगम मानसों ॥ तत्त्वार्थ सूत्रहि शास्त्र सो पूजो भविक मन घारि के। लहि भान तत्त्व विचार भवि शिव बा भवोदधि पार के ॥ -श्री तत्वार्थसूत्र पूजा, भगवानदास, जैन पूजा पाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, ६२, नलिनीसेठ. रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ ४१० ।
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy