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________________ परिशिष्ट 216 137 केशवसेन सूरि कमलकीर्ति ( भट्टारक) 122, कृष्णदास (ब्रह्म) 125,222 कृष्णदास कवि कमलकीर्ति ( सूरि) 62 कृष्णदास मुनि कमलकीर्ति ( प्राचार्य) 131 शांति रसधा ( प्रार्या) 137 कमलसागर ( ब्रह्मचारी) 26 क्षेमकीर्ति / करुणाकर 14 क्षेमकीर्ति गुरु कर्मसिह क्षेमचन्द्र (वर्णी) कर्मसी वर्णी 100 गणधरकीर्ति 193, 166 कल्याणकीर्ति 211, 213 गणधरदेव कविचन्द्रिका 206 गणहरदेव 178, 183 कांकसुत 218 गुणकीर्ति कामराज महलादिवर्णि शिष्य ) 41 गुणचन्द्र कीर्तिसागर ( ब्रह्मचारी) 26 गुणचन्द्र (देवकीर्ति शिष्य ) 80 कुन्दकुन्द 14, 16, 37, 40, 54, गुणचन्द्रसूरि 60, 61, 105, 161 गुणधर भट्टारक 183 कुन्दकुन्द गणी 48 / गुणनन्दि मुनि कुन्दकुन्द मुनि गुणभद्र (गुरु) कुन्दकुन्द सूरि 42, 127, 155 गुणभद्र 37, 46, 81, 11, 13, कुन्दकुन्दाचार्य 34, 66, 101, 102, 117, 127, 171 136, 146, 202 गुणभद्र मुनीश्वर 113 कुमुदचन्द्र 222 गुणभद्रसूरि 28,82, 111 कुमारकवि 113 गुणभद्राचार्य 23, 70, 146 कुमारनन्दि गुणवीर सूरि कुमारसेन गुणसेन 104, 164 कुवलयचन्द्र 195 गुणाकरसेन सूरि केशवनन्दि 153 गुरुदास 116, 120 201 111 85
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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