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________________ 115 87 प्रशस्तिसंग्रहमें उन्लिखित आचार्य, मट्टारक और विद्वान अकलंक 1, 2, 14, 11,30, 46, अमितगति 13, 127 51, 66, 63, 118, 177, अमृतचन्द्र 206, 214, 215, 216 अय्यप अकलंक गुरु 197 अय्यपार्य अकलंकदेव 213 अरुणरत्न (मणि ) अकलंक ( भट्ट) 127, 223 अर्हनन्दि (विद्य) 144 अकलंक सूरि 19 असग 107, 108, 106, 127 अक्षपाद 114 आर्यनन्दि 107 अखैराम (शिष्य विद्यानन्दि ) 28 आर्यनन्दि गुरु(चन्द्रसेनके शिष्य) 185 अजित विध 81 प्रार्थमिश्र अजितसेन प्राशाधर 8 111, 206 अजितसेन गणी 151 प्राशाधरसूरि 14 अजितसन सूरि इन्द्रनन्दि 111, 137, 138 अज्जज्जणंदि (आर्य आर्यनन्दि) 182 136, 135 अज्जमखू (आर्यमंखु) 183 उदयसेन 68, 104 अनन्तवीयं 1, 2, 118 उद्यद्भूषः ( उदयभूषण) 113 191 उमास्वाति 14, 16, 127, 223 अभयचन्द्र देव 87 उमास्वामि 30, 212 अभयनन्दि 75, 87, 144 एक संधि अभयेन्द्र 147 एलाइरिय अभयसूरि 161 कणभुज अमरकीर्ति 30 कर्ण नृपति 204 अमरकीर्ति (शिप्य मल्लिभूषण) 146 कनकसेन 2, 134, 146 अमलकोति 124 कनकसेन गणी 151 अभयचन्द्र
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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