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________________ ब्रह्मचर्य व्यभिचार करना पड़े तो वह विरोधी व्यभिचार कहलायगा । अगर युद्ध के समय कोई स्त्री जासूस का काम कर रही है और इस कार्य में वह शत्रु का गुप्त रहस्य तभी जान सकती है, जब वह शत्रु पक्ष के किसी अफसर के साथ प्रेम का नाट्य करे, ऐसी अवस्था में जो व्यभिचार होगा वह विरोधी व्यभिचार होगा । यदि किसी स्त्री को किसी अत्याचारीने कैद कर लिया है और अगर वह उसकी इच्छा तृप्त नहीं करती तो वह उसके बच्चे को मार डालता है, ऐसी अवस्था में अगर वह व्यभिचार करती है तो उसका यह कार्य आत्मीय रक्षा के लिये होने से विरोधी * व्यभिचार है। इसी प्रकार प्राणरक्षा के लिये भी विरोधी व्यभिचार हो सकता है। प्रश्न-सीत! आदि सतियों ने आत्म रक्षा को पर्वाह न करके सतीत्व की रक्षा की, उसी प्रकार प्रत्येक बी को क्यों न करना चाहिये ? अथवा कम से कम उस स्त्री को अवश्य करना चाहिये जिसने अणुव्रत लिये हैं। अणुव्रत-धारिणी को भी आप इतनी छूट दें तब सतीत्र आखिर रहेगा कहाँ ! सीता आदि के जीवन तो दुर्लभ ही हो जायगे । उत्तर- सीता आदि ने जो प्राणों की बाजी लगाकर स्तीत्व रक्षा की, वहाँ सतीत्व का प्रश्न मुख्य नहीं है किन्तु वह अत्याचार के आगे सत्याग्रह नामक महाशन का उपयोग है । अगर रावण ने बलात्कार किया शेता तो महासती सीताजी के ब्रह्मपर्य व्रत को ज़रा भी धका न लगता, अथवा दुर्भाग्यवश भगर रावण ने
SR No.010100
Book TitleJain Dharm Mimansa 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1942
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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