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________________ विविध PEE यायी राजाओंकी चर्चा धार्मिक दृष्टिसे की गई है। यहाँ उन तथा कुछ अन्य जैन वीरोंका वर्णन वीरताकी दृष्टिसे किया जाता है। - राजा चेटक . भगवान महावीरकी माता राजा चेटक की पुत्री थी। राजा - चेटक अपने शौर्यके लिए प्रख्यात था। एक बार चेटकके दौहित्र मंगघसम्राट् कुणिक (अजातशत्रु) ने चेटककी वृद्धावस्थामे चेटकके विरुद्ध आक्रमण कर दिया था। चेटकने घमासान युद्ध करके अजातशत्रुके दांत खट्टे कर दिये थे। राजा उदयन र सिन्धु-सौवीरका राजा उदयन महावीर भगवान्का अनुयायी था। यह राजा जैसा धर्मात्मा था वैसा ही वीर भी था। एकवार उज्जनीके राजा चण्डप्रद्योतने उसपर आक्रमण कर दिया। घमासान युद्ध हुआ और उदयनने प्रघोतको पकड़कर अपना वन्दी बना लिया। मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त । मौर्यसम्राट चन्द्रगुप्तका नाम तो भारतीय इतिहासमे स्वर्णाक्षरों में लिखा हुआ है। सिकन्दरकी मृत्युके वाद इस वीरने भारतवर्षको यूनानियोंकी दासतासे मुक्त किया और युद्धभूमिमें यूनानी सेनापति सेल्युकसको पराजित करके हिन्दूकुश पहाड़तक अपने साम्राज्यका विस्तार किया । कलिंग चक्रवर्ती खारवेल । राजा खारवेलक शिलालेखसे मालूम होता है कि खारवेलने सातकर्णिकी कुछ भी परवाह न करके पश्चिमकी ओर अपनी सेना भेजी। फिर मूर्षिकोंपर आक्रमण किया। सातकर्णि और मूर्षिकों, पर विजय प्राप्त करके राष्टिको और भोजकोंसे अपने पैर पुजवाये। फिर मगधपर आक्रमण किया। दक्षिणके पाण्ड्यराजाने हाथी घोडे मणि, मुक्ता आदि भेटम देकर खारवेलका आधिपत्य स्वीकार किया। ऐसा प्रवल पराक्रमी जैनराजा खारवेलके पश्चात् दूसरा नहीं हुआ।
SR No.010096
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1955
Total Pages343
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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