SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साहित्यमें अंग और अंगवाह्य ग्रन्थोके नामों तथा उनमे वर्णित विषयोका उल्लेख मिलता है, किन्तु उसमे उपांग आदि भेद नहीं है। श्वेताम्बर सम्प्रदायमे चन्द्रप्रज्ञप्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिको उपाग माना है कन्तु दिगम्बर साहित्यमें इनकी गणना दृष्टिवादके एक भेद परिकर्मम मी है। इसी तरह दशवकालिक, उत्तराध्ययन, कल्पव्यवहार और शीथ नामके ग्रन्थोंको अंगवाह्य वतलाया है। दिगम्बर सम्प्रदायम गोंके अतिरिक्त जो भी साहित्य है वह सब अंगवाह्य माना गया है। श्वेताम्वर परम्परामें देवद्धिगणिक पश्चात् जिनभद्रगणि क्षमामण नामके एक विशिष्ट आचार्य हुए । इनका विशेषावश्यक भाष्य क उच्च कोटिका ग्रन्य है। इसमें तर्कपूर्ण शैलीसे जानकी सुन्दर चर्चा । गयी है । जिस तत्त्वार्थसूत्रका उल्लेख हम दिगम्बर साहित्यम र आये है, उसपर एक भाष्य भी है, जिसे कुछ विद्वान् स्वोपज्ञ मानते । इसपर आचार्य सिद्धसेनगणिका तत्त्वार्थ भाष्य एक विस्तृत टीका । आगमिक साहित्यके ऊपर भी अनेक टीकाएँ उपलब्ध है। नवाग त्तिकार श्रीअभयदवसूरिने नौ भागमोपर संस्कृत भाषामे सुन्दर काएं रची है। इस दृष्टिसे मल्लधारी हेमचन्द्रका नाम भी लेखनीय है, इन्होंने भी आगमिक साहित्यपर विद्वत्तापूर्ण टीकाएं खी है। विशेषावाश्यक भाष्यपर रची इनकीटीका बहुत ही सुन्दर है। श्वेताम्बर सम्प्रदायमें कर्मविषयक साहित्य भी पर्याप्त है जिसमें मप्रकृति, पंचसंग्रह, प्राचीन और नवीन कर्मग्रन्य उल्लेखनीय है । ३वी गतीमें श्रीदेवेन्द्रसूरिने नवीन कर्मग्रन्थोकी रचना स्वोपज्ञ टीकाके य की थी। इनकी टीकाओंमें कर्मसाहित्यकी विपुल सामग्री संकलित । न्यायविषयक साहित्यमें सिद्धसेन दिवाकरका न्यायावतार जैनयिका आद्य ग्रन्थ माना जाता है। इनका 'सन्मति तर्क प्रकरण भी त महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, इसमे आगमिक मान्यताओंको भी तर्कको सोटीपर कसनेका प्रयल किया गया है। इस प्रकरण ग्रन्थपर अभयमूरिकी महत्त्वपूर्ण टीका है । इस सम्प्रदायमें हरिभद्रसूरि नामक
SR No.010096
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1955
Total Pages343
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy