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________________ जैन दर्शन के मौलिक तत्व ['ya देने पर कुछ दिनों में ही उसमें कीड़े मकोड़े या क्षुद्राकार बीजाणु दिखाई देने लगते हैं। इससे यह सिद्ध हो गया कि बाहर की हवा में बहकर ही बीजाणु या प्राणी का अण्डा या छोटे-छोटे विशिष्ट जीव इस पदार्थ में जाकर उपस्थित होते हैं । 1 स्टैनले मिलर ने डा० यूरे के अनुसार जीवन की उत्पत्ति के समय जो परिस्थितियां थीं, वे ही उत्पन्न कर दीं। एक सप्ताह के बाद उसने अपने रासायनिक मिश्रण की परीक्षा की । उसमें तीन प्रकार के प्रोटीन मिले परन्तु एक भी प्रोटीनजीवित नहीं मिला। मार्क्सवाद के अनुसार चेतना भौतिक सत्ता का गुणात्मक परिवर्तन है पानी-पानी है । परन्तु उसका तापमान थोड़ा बढ़ा दिया जाए तो एक निश्चित बिन्दु पर पहुंचने के बाद वह भाप बन जाता है । ( ताप के इस बिन्दु पर यह होता है, यह वायु मण्डल के दबाव के साथ बदलता रहता है ) यदि उसका तापमान कम कर दिया जाए तो वह बर्फ बन जाता है । जैसे भाप और बर्फ का पूर्व रूप पानी है, उसका भाप या बर्फ के रूप में परिणमन होने पर - गुणात्मक परिवर्तन होने पर, वह पानी नहीं - रहता। वैसे चेतना का पहले रूप क्या था जो मिटकर चेतना को पैदा कर सका ? इसका कोई समाधान नहीं मिलता। "पानी को गर्म कीजिए तो बहुत समय तक वह पानी ही बना रहेगा । उसमें पानी के सभी साधारण गुण मौजूद रहेंगे केवल उसकी गर्मी बढ़ती जाएगी। इसी प्रकार पानी को ठण्डा कीजिए तो एक हदतक वह पानी ही बना रहता है। लेकिन उसकी गर्मी कम हो जाती है । परन्तु एक बिन्दु पर परिवर्तन का यह क्रम यकायक टूट जाता है। शीत या उष्ण बिन्दु पर पहुँचते ही पानी के गुण एक दम बदल जाते हैं। पानी, पानी नहीं रहता बल्कि भाप या बर्फ बन जाता है।” जैसे निश्चित बिन्दु पर पहुँचने पर पानी भाप या बर्फ बनता है वैसे भौतिकता का कौन-सा निश्चित बिन्दु है जहाँ पहुंचकर भौतिकता चेतना के रूप में परिवर्तित होती है। मस्तिष्क के घटक तत्त्व है-हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन कार्बन, फॉसफोरस श्रादि-आदि। इनमें से कोई एक तत्त्व चेतना का उत्पादक है या सबके मिश्रण से वह उत्पन्न होती है और कितने तत्त्वों की कितनी मात्रा बनने पर वह पैदा होती है इसका कोई शान अभी तक नहीं .
SR No.010093
Book TitleJain Darshan ke Maulik Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Chhaganlal Shastri
PublisherMotilal Bengani Charitable Trust Calcutta
Publication Year1990
Total Pages543
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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