SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ४ ] गुणस्थानों की अपेक्षा से आत्मा अमर है। इसी प्रकार दूसरा प्रश्न है- आत्मा शाश्वत है या अशाश्वत ? इसे भी गुणस्थानों के आधार पर ही सुलकायें तो प्रथम, तृतीय, पांचवां, छट्ठा और तेरहवां ये पाँच गुणस्थान शाश्वत हैं अर्थात् इन पांच गुणस्थानों में कोई भी जीव न रहे, ऐसा सम्भव नहीं हो सकता । इस प्रकार दर्शन सम्बन्धी तत्त्वों में ज्यों-ज्यों गहरे उतरते हैं त्यों-त्यों नई-नई दृष्टियाँ हमारे सामने आती जाती है। इन सब दृष्टियों के पीछे लक्ष्य एक ही है-बन्धनमुक्त होना। जिसके लिये धर्म अमोध साधन है। मेरी दृष्टि में जो आचार, जो विचार, जो व्यवहार और जो चिन्तन संसार के प्रपंचों से ऊपर उठाता है और मोक्ष के निकट ले जाता है वही वास्तविक धर्म है। मैं धर्म को मुक्त तथा सम्प्रदायातीत मानता हूँ । आचार्यश्री ने अन्त में आशा व्यक्त की कि जैन परिषद का यह चतुर्दिवसीय कार्यक्रम उपरोक्त दर्शन एवं धर्म जैसे गूढ़ विषयों को सरल व सुबोध रूप देकर सभी लोगों की शान मन्दाग्नि को तीव्र बनाने का प्रयास करेगा । अन्त में परिषद के संयोजक श्री बांठिया जी द्वारा आभार प्रदर्शन के are प्रातःकालीन कार्यक्रम की समाप्ति हुई । मध्यान्हकालीन अन्तरंग अधिवेशन दिनांक २५ अक्टूबर ६४ : मध्यान्ह में 'लाल कोटड़ी' में आचार्यश्री के सान्निध्य में दर्शन परिषद का प्रथम अन्तरंग अधिवेशन हुआ । आचाय प्रवर द्वारा मंगल सूत्रपाठ के साथ कार्यवाही आरम्भ हुई। गोष्ठी में विद्वन्मण्डली के अतिरिक्त अन्य अनेक जिज्ञासु भाई बहिनों की उपस्थिति भी काफी संख्या में थी । इस बैठक में निम्नलिखित ३ शोध-लेखों का वाचन हुआ। विषय प्रबक्ता १- प्राकृत साहित्य २ - 'अपभ्रंश साहित्य' डा० सतरंजन बनर्जी, पी-एच० डी० श्री देवेन्द्रकुमार जैन, शास्त्री ३- श्रमण संस्कृति पर एक तुलनात्मक परिशीलन मुनिश्री दुलीचंदजी 'दिनकर' ( तीनों पत्र इसी रिपोर्ट के साथ प्रकाशित किए जा रहे हैं। ) प्रत्येक पत्र के वचनोपरान्त प्रश्नोत्तर का कायक्रम रहा ।
SR No.010092
Book TitleJain Darshan aur Sanskruti Parishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherMohanlal Banthiya
Publication Year1964
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy