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________________ TT बन्धुवर डा० पटेरिया जी, DEPARTMENT OF SANSKRIT FACULTY OF ARTS. DELHI UNIVERSITY, DELHI-7 ६ दिनांक ३१-६-७३ सस्नेह नमस्कार आपका १४ जून, १९७३ का पत्र एवं शोध प्रबंध 'जैनदर्शन आत्मद्रव्यविवेचनम्' का हिन्दी सार प्राप्त कर प्रसन्नता हुई। प्राच्य विद्या शोध अकादमी की शोध-ग्रन्थ-माला के प्रथम पुष्प के रूप मे प्रकाश्यमान इस शोध प्रबन्ध का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं और आशा करता हूं कि अकादमी प्राच्य विद्या के अध्ययन एव शोध की दिशा में तुतरां अग्रसर हो कर एतद्विध संस्थाओं मे शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान ग्रहण करेगी। अकादमी की सफलता के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ । शुभेच्छु सत्यव्रत शास्त्री (अध्यक्ष)
SR No.010091
Book TitleJain Darshan Atma dravya vivechanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM P Patairiya
PublisherPrachya Vidya Shodh Academy Delhi
Publication Year1973
Total Pages190
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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