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________________ संयम इतस्त्रकारोंने संमयके सात भेद बतलाये हैं। वे निम्न २ प्रकार हैं: १-सामायिक, २-छदोपस्थापना, ३-परिहारविशुद्धि, ४-सूक्ष्मसाम्पराय, ५-यथाख्यात, ६-देशविरति और -अविरति । (१) सामायिक-जीवको जो मम भावकी ( राग-द्वपके अभावकी ) प्रानि होती है, वह सामायिक संयम है। इसके (क) इत्वर और (ख) यावत्कथित, ये दो भेद हैं। (क)-इत्वरसामायिक मंयम वह है, जो उपस्थापनार्थी शिष्यों को स्थिरता प्राप्त करने के लिये पहले-पहल दिया जाता है और जिसकी काल-मर्यादा उपस्थापन पर्यन्त-बड़ी दीक्षा लेने तक मानी गई है। यह मंयम भग्न-ऐगवन क्षेत्रमें प्रथम तथा अन्तिम तीथकरके शासन के समय ग्रहण किया जाता है। इसके धारण करनेवालाको प्रतिक्रमग सहित पांच महात्रन अङ्गीकार करने पड़ते हैं तथा उस समयके म्वामी 'स्थितकल्पी' होते है। (ख) यावत्कथित सामायिक संयम वह है, जो ग्रहण करने के समयसे जीवन पर्यन्त पाला जाता है। यह संयम भरत-ऐराबत तंत्रमें मध्यवर्ती बाईस तीर्थकरोंक शासनमें प्रहण किया
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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