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________________ १८२ * जेलमें मेरा जैनाभ्यास * द्वितीय ३-त्रीन्द्रिय त्रीन्द्रिय अवस्थामें कम-से-कम अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक असंख्यात काल तक। __४-चतुरिन्द्रिय चतुरिन्द्रिय अवस्थामें कम-से-कम अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक असंख्यात काल तक । ५-पञ्चेन्द्रिय पञ्चेन्द्रिय अवस्थामें कम-से-कम अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक एक हजार सागर तक। ___ अपर्याप्त एकेन्द्रिय जीवसे लेकर पञ्चेन्द्रिय जीव तककी कम-से-कम और अधिक-से-अधिक एक अन्तर्मुहूर्तकी आयु है। १-एकेन्द्रिय जीव पर्याप्त अवस्थामें कम-से-कम अन्तर्मुहृत और अधिक-से-अधिक संख्यात हजार वर्ष तक रहै। २-द्वीन्द्रिय जीव पर्याप्त अवस्था में कम से कम अन्तर्मुहर्त । और अधिक से अधिक संख्यात वर्ष तक रहै। ३-त्रीन्द्रिय जीव पर्याप्त अवस्थामें कम-से-कम अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक संख्यात रात्रि-दिन रहै। ४-चतुरिन्द्रिय जीव पान अवस्थामं कम-से-कम अन्तमहत और अधिक-से-अधिक संख्यात मास तक रहे। ___५-पञ्चेन्द्रिय जीव पर्याप्त अवस्थामें कम-से-कम अन्तर्मुहूते और अधिक-से-अधिक तेतीस सागरसे कुछ अधिक रहै। . १-एकेन्द्रियका अन्तरकाल कम-से-कम एक अन्तर्मुहर्त । और अधिक-से-अधिक दो हजार सागर और संख्यात हजार वर्ष है।
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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