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________________ खण्ड * नवतत्त्व अधिकार * २-धातकीखण्डमें छह क्षेत्र हैं। २-भरत, २-ऐरावत और २-महाविदेह । ३-पुष्कराद्वीपमें भी छह क्षेत्र हैं। २-भरत, २-ऐरावत और २-महाविदेह। इस प्रकार कर्मभूमिज मनुष्योंके १५ क्षेत्र हैं। अकर्मभूमिके क्षेत्र इस प्रकार हैं-जम्बूद्वीप, धातकीखण्ड, और पुष्कराधद्वीप। १- जम्बूद्वीपमें छह क्षेत्र हैं:-१-देवकुरु, १-उत्तरकुरु, १हरिवास, १-रम्यक वाम, १-हेमवास और १-एरण्यवास । २-धातकीखण्डमें बारह क्षेत्र है:-२-देवकुरु, २-उत्तरकुरु, २-हरिवास, २-रम्यकवास, २-हेमवाम और २-एरण्यवास । ३-पुष्कराधद्वीपमें भी बारह क्षेत्र हैं:-२-देवकुरु, २- उत्तरकुरु, २-हरिवास, २-रम्यकवास, २-हेमवास और २-एरण्यवास। ____इस प्रकार तीस क्षेत्र अकर्मभूमिज-भोगभूमिज मनुष्यों के हैं। अकर्मभूमि इस प्रकार और हैं:____ जम्बूद्वीप में भारत क्षेत्रकी हद्द करनेवाला 'चूलहेमवन्त' नामक पवत है और ऐरावत क्षेत्रकी हद्द करनेवाला 'शिखरी' नामक पर्वत है । इन दोनों पर्वतोंके दोनों कोनोंसे दो-दो शाखायें निकली हैं। इन चारों शाखाओं से दो-दो अर्थात् पाठ उप
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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