SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खण्ड * कर्म अधिकार * १४३ झूठे जाल रचे-साधु आदि तथा दर्शनके साधन इन्द्रियों को नष्ट करे-चिन्ता अधिक करे; इत्यादि । ३-वेदनीयकर्म-बन्धके कारण:( १ ) सातावेदनीय कर्म बन्धके कारणः माता, पिता, धर्माचार्य, वृद्ध आदिकी सेवा करमा-अपने साथ हित करनेवाले के साथ उपकार करना-दीन, दुखियों के दुःखको दूर करना-कषायोंपर विजय प्राप्त करना अर्थात् क्रोध, लोभ, मान और मायासे अपनी आत्माको बचानासुपात्रको आहार देना-रोगियोंकी औषधि तथा देख-भाल का प्रबन्ध करना-जीवोंको अभयदान देना-विद्यार्थियों के वास्ते पढ़ने व खानेका प्रबन्ध करना-धर्म में अपनी आत्माको स्थिर रखना-दान देना; आदि । इन कर्मोंका उलटा करनेसे जीव असातावेदनीय कर्म बाँधता है। (२) इनके अलावा असातावेदनीय-कर्म-बन्धके कारण: जीवका घात करे--छेदन-भेदन आदि क्रिया करे-चुगली करे-जीवोंको दुःख व तकलीफ़ दे-असत्य बोले-वैर विरोध करे-क्रोध-मान पैदा करे तथा झगड़े करे-परनिन्दा करे; इत्यादि। ४-मोहनीय-कर्म-बन्धके कारण:(१) दर्शनमोहनीयः
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy