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________________ खण्ड] * अनेकान्तवाद * १३ मनुष्य अकस्मात् दूसरे घड़ेको उठा लेता है और यह कहकर कि यह मेरा नहीं है, वापस रख देता है । उस समय उस घड़ेका नास्तित्व प्रमाणित होता है, 'मेरा'के आगे जो 'नहीं' शब्द है वहीं नास्तित्वका सूचक है। यह घड़ा है, इस सामान्य धर्मसे घड़ेका अस्तित्व साबित होता है। मगर यह घड़ा मेरा नहीं है, इस विशेष धर्मसे उसका नास्तित्व भी साबित होता है । अतः सामान्य और विशेष धर्मके अनुसार प्रत्येक वस्तु को सत् और असत् समझना ही अनेकान्तवाद अथवा स्याद्वाद है। ® यह विषय बहुत ही गहन है। इसकी विशेष जानकारीकेलिये । हरिभद्रसूरिजीका 'अनेकान्तजयपताका' और कुन्दकुन्दाचार्यजीका 'प्रवचन सार', 'समयसार' भादि प्रन्थ पढ़ने चाहिये ।
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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