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________________ ( ३ ) लेकर अपनी प्रवृत्तिका परिचय देते थे । महात्मा गांधीजी के आन्दोलनने उन्हें विशेष कार्य करनेको प्रेरित किया । क्रमशः डाँडी कूँचका और जेल यात्राका पुण्य प्रसङ्ग देशकेलिये आया । और सेठजी भी उसके यात्री हुए। अनेक योद्धा जेल यात्रा से देश सेवा के अलावा नाना फल प्राप्त करके घर लौटे हैं। अनेकोंने जेल में योगका, अनेकोंने संगीतका, अनेकों भाषाओंका और अनेकोंने विविध प्रकार के साहित्यका अभ्यास किया। इस राष्ट्रीय जेल यात्राने एक विशिष्ट वर्ग में देश के लिये आवश्यक ज्ञानकी पूर्ति अंशतः की है। इसके परिणाम स्वरूप पिछले तीन वर्षों में अनेक विषयोंपर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई, अनेक भावनाएँ प्रकाशमें आई और विचार-क्षेत्र में एक क्रान्तिसी मच गई। सेठजी भी दो बार जेल में हो आए। उन्होंने वहाँ जो कुछ पढ़ा, उसके फलस्वरूप यह दूसरी पुस्तक है। जेल के डेढ़ वर्ष जितने परिमित समय में अनेक बन्धनों के होते हुए और अपेक्षित साधनोंकी पूर्ण न्यूनता के होते हुए भी - उन्होंने प्राप्त साधनोंका अपनी समझ और शक्तिके अनुसार जो सदुपयोग किया, उसको - सत्यको सामने रखते हुए यह कहना पड़ता है कि उन्होंने जो कुछ किया, वह केवल सन्तोषप्रद ही नहीं, बल्कि व्यापारी समाजके नवयुवकों के लिये प्रेरक भी हैं । व्यापार-प्रधान जैनसमाजके पढ़े-लिखे कहलानेवाले हजारों गृहस्थ युवकों में इने-गिने ही ऐसे मिलेंगे, जिनका धार्मिक साहित्य
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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