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________________ । ६५ । जो भी प्रमाण और युक्तियां प्रो० सा० ने अपने लेख में दी हैं उन सबों का खण्डन शास्त्राधार से हम कर चुके हैं। __ अब कुछ और भी ऐसे हेतुओंको संक्षेपमें यहां प्रगट करते हैं जिनसे द्रव्यस्त्रीका मोक्ष जाना असंभव ठहरता है, वे हेतु इस प्रकार हैं १-मोक्ष उसी शरीरसे हो सकती है जो पूर्ण सामर्थ्यशाली हो, क्योंकि बिना शुक्ल-ध्यान की प्राप्ति के क्षपक श्रेणी नहीं मादी जा सकती है और बिना क्षपक श्रेणीके मोक्षकी प्राप्ति असंभव है। शुक्ल-ध्यानकी प्राप्तिका कारण-उत्तम संहनन है, यथाउत्तमसंहननस्यै काग्रचिन्तानिरोधो ध्यानमांतर्मुहूर्तात (श्री तत्वार्थसूत्र) उत्तम संहननों में आदि के तीन संहनन लिये जाते हैं परन्तु उनमें भी मोक्ष प्राप्ति का साक्षात् कारण केवल बत्रवृषभनाराच संहनन ही है। यथा बज्रवृषभनाराचसंहननं, बज्रनाराचसंहननं, नाराचसंहननमेतत्रितयं संहननमुत्तमं, कुतो ध्यानादि-विशेष-वृत्तिहेतुत्वात, तत्र मोक्षस्य कारणमाद्यमेकमेव । (तत्वार्थ राजवार्तिक पृष्ठ ३४८) अर्थात्-आदि के तीन संहनन उत्तम हैं, क्योंकि वे ध्यान के साधन हैं। परन्तु मोक्ष का कारण केवल पहला संहनन ही है।
SR No.010088
Book TitleDigambar Jain Siddhant Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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