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________________ afrees ३९. आगे कुंडपुर और उसी के आगे कोल्लान मुहल्ला था। इसमें क्षत्रिय रहते थे। जिस जाति में महावीर ने जन्म लिया था वहां कोल्लाम के पास बुतिपलासचैत्य उद्यान था। वह ज्ञातकुल का ही था इसलिये आचारांगसूत्र और कल्पसूत्र में जायवणखंडउज्जाणे लिखा है। कंडपुर केसाथ नगर शब्द जुड़ा है जो वैशाली और कंडपुर का एक होना सत्य सिद्ध करता है। कंडपुर केसाथ सन्निवेश शब्द का भी प्रयोग हुआ है यह कंडपर केलिये नहीं किन्तु उत्तर तरफ के क्षत्रियकंड के लिए तथा दक्षिण तरफ के ब्राहमणकुंड के भेदों के लिए ही है। अर्थात् सिद्धार्थ वैशाली नगर के कोल्लाग मोहल्ले का ज्ञातक्षत्रियों का प्रमुख सरदार था इसमे स्पष्ट है कि महावीर की जन्मभूमि कोल्लाग ही थी। ज्ञातवंश के क्षत्रिय पार्शवनाथ के अनुयायी थे। उन्होने अपने धर्मगुरू को ठहराने के लिए दुतिपलासचैत्य की स्थापना की थी। जब महावीर ने संसार का त्याग किया तब प्रथम कुंडपुर के निकट ज्ञातकुल के इसी दूतिपलासचैत्य में जाकर निवास किया था। एक बौद्ध कथा के अनुसार वैशाली को तीन भागों म विभाजित किया है। पहले भाग में सात हजार सोने के कलश वाले घर थे, मध्य वाले भाग में चौहद हजार घर चादी के कलश वाले थे, और इक्कीस हजार घर तांबे के कलशवाले अन्तिम भाग में थे। वहां उत्तम, मध्यम और नीच वर्ग के लोग वास करते थे। जैन सूत्र में वाणियग्राम केलिये उच्च, नीच और मध्यम लिखा है जिसका उक्त वर्णन के साथ मेल खाता है। २. अतः डा. हार्नले ऐसा मानता है कि १. वैशाली का कोल्लाग मोहल्ला ही क्षत्रियकड है। वासकड वर्तमान म उसका अवशेष रूप है २. ज्ञातवणखंड और दतिपलासचेत्य एक ही उद्यान था । वह वशाली म था। ३. सिद्धार्थ कोल्लाग के ज्ञान क्षत्रियों का सरदार - ; 1 ३. पन्यास कल्याणविजय अपनी पुस्तक भ्रमण भगवान महावीर में लिखते हैं कि १. भगवान महावीर का जन्म लच्छआड़ के निकट क्षत्रियकंड में हुआ था मैं इसे सच नहीं मानता क्योंकि पत्रों में भगवान महावीर के लिये विवेदिन्न,
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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