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________________ जेकांवी की मान्यता उनका पिता सिद्धार्थ ज्ञात-जाति का ठाकुर था। वैशाली के कोल्लाग सन्निवेश (महल्ले) में वह रहता था इसलिए महावीर को वैशालिक कहा जाता है। वैशाली वह वर्तमान काल का बसाड़ है। पटना के उत्तर में सत्ताईस मील दर है। इम समय शहर के वैशाली, कुंडग्राम और वाणियग्राम ये तीन भाग हैं। इनमें अनुक्रम से साह्मण, क्षत्रिय और बनिये रहते थे। आज इनके अवशेष- १. बसाइ २. वासुकंड ३. बनियांगांव विद्यमान है। सिद्धार्थ का विवाह वैशाली गणराज्य के प्रमुख राजाचेटक की बहिन त्रिशला से हुआ था। महापार का जन्म ई.प.५९९ में त्रिशला के गर्भ सेहआ था। इससे स्वतः सिद्ध है कि उनका जन्म उच्चकुल में हुआ था। इस काही कारण था कि बद्ध और महावीर दोनों प्रारंभ में अपनी अपनी जाति के क्षत्रियों और राजकलों के संसर्ग में आये थे। महावीर की यशोदा नाम की पत्नी प्रियदर्शना नाम की पुत्री और जमाली नाम का जवाई (दामाद) था। महावीर ने माता-पिता की मृत्यु के बाद तीस वर्ष की आय मे दीक्षा ली थी। कोल्लाग में मात-क्षत्रियों का बुतिपलासचैत्य नाम का धर्मस्थान था, जिसमें पूज्य पार्श्वनाथ की परम्परा के मुनि आकर ठहरते थे। महावीर ने प्रथम इस परम्परा में प्रवेश किया था। एकाध वर्ष के बाद नग्नता स्वीकार की। बारह वर्ष तक छमस्थ मनि अवस्था में विहार किया। बाद में महावीर के उपनाम के माथ केवलज्ञान को प्राप्त कर जिन (तीर्थकर) पद को प्राप्त किया। उन्होंने अन्तिम तीस वर्षों तक धर्मोपदेश देकर अपनी परम्पंग की व्यवस्था की। इस काम में उन्हें मौसाल (मामा) के पक्ष के साथ सम्वन्ध के कारण विदह, मगध और अंग जनपदों का बहत सहयोग मिला। नेपाल की मीमा और पाश्वनाथ पहाड (मम्मेदशिखर) तक विचरण किया था। उन्होंने गौतमबुद्ध केमाथ मिलाप या विवाद नहीं किया परन्त गौशाला के साथ वाद-विवाद किया। उनके माशय ग्यारह (गणधर) तथा दमरे इन गणधरों के शिप्य वयालीम मौ (चवालीम मौ) थे। इलिये (उनकी परम्पग में) आज तक जैनधर्म चाल है इत्यादि तथा डा. हार्नले ने उपामकदशांग मत्र के भापान्तर में प० तीमरे की टिपणी lootnote में लिखा है- जिमका सार यह है- "वाणियग्राम यह वैशाली का दसरा नाम है। वैशाली में वैशाली, कंडग्राम, वाणियग्राम का समावेश होता है। जिनके अवशेष रूप आज वमाढ़, वामकंड और वाणिया है। इससे वैशाली को हम तीन नामों से सम्बोधित कर सकते हैं। वाणियाग्राम के माष नगर शब्द बड़ा है इसलिये यह बड़ा नगर था। कंडग्राम वैशाली काही तीसरा नाम है इसी से महावीर की जन्मभूमि वैशाली होने में महावीर भी वैशालिक कहलाये। एक बौद्ध कथा में वैशाली के तीन नाम कहे हैं। वैशाली के
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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