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________________ त्रियबर भगवान महावीर का जन्मस्थान क्षत्रियकुंड जैनधर्म के चौवीमवें नीर्थकर भगवान महावीर का जन्म ई.पू. ५९९ (वि. प. ५.४२) चैत्र शक्ला त्रयोदशी को मगध जनपद के कंडग्गाम (कुण्डग्राम) में हुआ था। इसकी पष्टि प्राचीन जैनागम आचागंग,कल्पसूत्र आदि अनेक आगम-शास्त्र करत हैं एवं अनेकानेक यात्री-यात्रीसंघ यात्रा करने केलिये प्राचीनकाल से आज नक वहा आने-जाते रहते हैं। इसकी पुष्टि में हम आगे विस्तार से लिखेंगे। कडग्राम दो भागों में विभाजिन था। १. क्षत्रियकंडग्राम और २. ब्राह्मणकंडग्राम। काठ वर्ष पहल तक तो उपयंक्न क्षत्रियकंड को ही भगवान महावीर केच्यवन (गभावनगण), जन्म, दीक्षा, नीन कल्याणकों की भूमि निविर्वाद रूप से मान्य थी। परन्त पाश्चिमात्य अन्वेषकों ने जब वमाढ़ (प्राचीन वैशाली) की खोज की और भगवान महावीर कलिय प्रयुक्त- वैशालिक बिबेहदिन्ना, विदेहदिन्न, विदेहजच्चा आदि शब्द पढ़ने में उन विद्वानों ने यह धारणा बना ली कि भगवान महावीर का जन्मस्थान वैशाली ही है और उसकेएक महल्ले को ही कंडग्राम मान लिया। इन काममर्थन काट भारतीय विद्वानों ने भी कर डाला। दिगम्बर साहित्य ने कंडपर के स्थान पर कंडलपर माना और नालंदा के निकटवर्ती बड़गांव को ही कंडलपर मानकर वहां भगवान महावीर के दिगम्बर मन्दिर स्थापित करदिये। इर्यालय त्रियकंड म्थान कहां पर है? कई वर्षों से ऐसा प्रश्न उठ खड़ाहआ। अतः त्रियकंड लिये इम ममय तीन मान्यताएं प्रचलित हैं। १. प्राचीन मान्यतामगध जनपद में लच्छआड (जमुई) के निकट क्षत्रियकंड को भगवान महावीर के जन्मस्थान की है। २.दिगम्वर-पंथ मगध जनपद में नालंदा के निकट बड़गांव को कुंडलपुर मानकर भगवान महावीर का जन्मस्थान मानता है। ३. आधुनिक कुछ पाश्चिमात्य एवं भारतीय विद्वान क्षत्रियकुंड को विदेह जनपद की राजधानी वैशाली का एक मोहल्ला मानते हैं। ऐसा मानते हुए भी इस मुहल्ले के लिये इन का एक मत नहीं है।
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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