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________________ मध्याय १ भूमिका बौद्धधर्म का सामान्य परिचय भारतीय धर्मो के इतिहास में बौद्धधम का स्थान अद्वितीय है । इसका ज्ञान बौद्धधम की उत्पत्ति और विकास के सामान्य अध्ययन से होता है। छठी शताब्दी ई पू न केवल भारतवर्ष अपितु विश्व के अन्य अनेक देशों के लिए धार्मिक आन्दो न का था था । यह न केवल धार्मिक एव आध्यात्मिक चिन्तन की दृष्टि से अपितु सामाजिक एव सास्कृतिक दृष्टियों से भी क्रान्तिकारी युग था । इस अवधि में विश्व के अनेक देशों में महान् समाज-सुधारकों का प्रादुर्भाव हुआ । भगवान् बुद्ध उनमें एक थे। इनका जन्म छठी शताब्दी ई पू के मध्य में सामान्य धारणा के अनुसार हुना था । उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ तथा गोत्र-नाम गोतम था । बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोदन तथा माता का नाम माया या महामाया था जो कोलियवश की राज कुमारी थी । महाप्रजापति गौतमी को बुद्ध की मौसी के रूप में स्वीकार किया गया है । गौतम बुद्ध के प्रारम्भिक जीवन को अनेक विविध घटनाओं से हमारा प्रयोजन नही है | वास्तविकता तो यह है कि प्राचीन स्रोतों में उनके प्रारम्भिक जीवन के विषय म प्रामाणिक सूचनायें अत्यल्प है । १६ वर्ष की अवस्था में गौतम का विवाह यशोधरा १ पाण्डय गोविन्दचन्द्र स्टडीज इन दी ओरिजिन्स ऑफ बुद्धिज्म प ३१ नारायण ए के दो बैकग्राउण्ड ट दी राइज ऑफ बुद्धिज्म १ १४ और आगे बार्डर ए के इण्डियन बुद्धि म प २८ । २ वही बौद्धधम के विकास का इतिहास पृ १९ में गौतम बुद्ध के जन्म निर्वाण आदि की निश्चित तिथियों के सम्बन्ध में किंचित विवाद है । ३ सुत्तनिपात ३७ ३।१।१८ १९ । ४ महावम्म विनयसुत्त ३।१।१८-२ ५ दीघनिकाय हिन्दी अनुवाद सुत स ६ विनयपिटक कुल्लवग्ग पृ ३७४ । ८६ । २११ १ १९ ।
SR No.010081
Book TitleBauddh tatha Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendranath Sinh
PublisherVishwavidyalaya Prakashan Varanasi
Publication Year1990
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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