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________________ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका पीठिका ] [ ३७ अनुभाग विषे नानागुणहानि, गुणहानि, द्वयर्द्धगुणहानि, दो गुरणहानि, अन्योन्याभ्यस्त इनका प्रमाणपूर्वक अल्पबहुत्व का कथन है । बहुरि तीसरी दशकरणचूलिका का व्याख्यान विषै बंध, उत्कर्षण, सक्रम, अपकर्षण, उदीर्णा, सत्त्व, उदय, उपशम, निधत्ति, निःकाचना इन दशकरणनि के नाम का, स्वरूप का, जिनि-जिनि प्रकृतिनि विषै वा गुणस्थाननि विषे जैसे संभव तिनका वर्णन है । -- बहुरि पांचवां बंध - उदय - सत्त्वसहित स्थानसमुत्कीर्तन नामा अधिकार विषै मंगलाचरण कर एक जीव कैं युगपत् सभवतां बंधादिक प्रकृतिनि का प्रमाणरूप स्थान वा तहा प्रकृति बदलने करि भये भंगनि का वर्णन है । तहां मूल प्रकृतिनि के बंधस्थाननि का, अर तहां संभवते भुजाकारादि बध विशेष का, अर भुजाकार, अल्पतर, अवस्थित, अवक्तव्यरूप बंध विशेषनि के स्वरूप का, अर मूल प्रकृतिनि कै उदयस्थान, उदीर्णास्थान, सत्त्वस्थाननि का वर्णन है । बहुरि उत्तर प्रकृतिनि का कथन विषै दर्शनावरण, मोहनीय, नाम की प्रकृतिनि विषै विशेष है । तहां दर्शनावरण के बधस्थाननि का, अर तहां गुणस्थान अपेक्षा भुजाकारादि विशेष संभवने का, अर दर्शनावरण के गुणस्थाननि विषै सभवते बंधस्थान, उदयस्थान, सत्त्वस्थाननि का वर्णन है । बहुरि मोहनीय के बधस्थाननि का, अर ते गुणस्थाननि विषै जैसे सभवै ताका, हां प्रकृतिनि के नाम जानने कौं ध्रुवबंधी प्रकृति, वा कूटरचना आदिक का अर तहां प्रकृति बदलने तै भए भगनि का, अर तिन बधस्थाननि विषै सभवते भुजाकारादि विशेषनि का, वा भुजाकारादिक के लक्षण का, वा सामान्य प्रवक्तव्य भंगनि की सख्या का, अर भुजाकारादि संभवने के विधान का, अर इहा प्रसंग पाइ गुणस्थाननि विषे चढना, उतरना इत्यादि विशेषनि का वर्णन है । बहुरि मोह के उदयस्थाननिका, अर गुणस्थाननि विषे संभवता दर्शनमोह का उदय कहि तहां संभवते मोह के उदयस्थाननि का, अर तहां प्रकृत्यादि के जानने कू कूटरचना आदि का, अर तहां प्रकृति बदलने ते भए भगनि का, अर अनिवृत्तिकरण विषे वेदादिक के उदयकालादिक का, अर सर्वमोह के उदयस्थान, र तिनकी प्रकृतिनि का विधान, वा संख्या वा मिलाई हुई संख्या का, श्रर गुणस्थाननि विषै संभवते उपयोग, योग, संयम, लेश्या, सम्यक्त्व तिनकी अपेक्षा मोह के उदयस्थाननि का, वा तिनकी प्रकृतिनि
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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