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________________ सामायिक का महत्त्व ६५ प्रतिनिधि है । अतएव सामायिक प्राप्त करने का श्रेय देवताओ को न मिलकर मनुष्यो को मिला है । प्रत आप अपने अधिकार का उपयोग कीजिए, हजार काम छोडकर सामायिक की श्राराधना कीजिए । भौतिक दृष्टि से देवताओ की दुनिया कितनी ही अच्छी हो, परन्तु आध्यात्मिक दुनिया मे तो ग्राप ही देवताओ के शिरोमणि है । क्या आप अपने इस महान अधिकार को यो ही व्यर्थ खो देगे ? क्या ग्राप सामायिक की आराधना कर स्व-पर कल्याण का मार्ग प्रशस्त न करेंगे ? अवश्य करेंगे । ملو در सामायिकव्रतस्थस्य गृहिरणोऽपि स्थिरात्मन । चन्द्रावतसकस्येव क्षीयते कर्मसचितम् ॥ — योगा० ३१८३ सामायिक की साधना मे लीन, स्थिरमनयुक्त गृहस्थ साधक भी राजपि चन्द्रावतसक की भाँति पूर्वसचित कर्मों को नष्ट कर डालता है ।
SR No.010073
Book TitleSamayik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1969
Total Pages343
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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