SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सामायिक-सूत्र "मंत्रः परमो शेयो मनन त्राणे हातो नियमात्" । मत्र शब्द की यह व्युत्पत्ति नवकार मत्र पर ठीक बैठती है। वीतराग महापुरुषो के प्रति अखण्ड श्रद्धा-भक्ति व्यक्त करने से अपने आपको हीन समझने रूप सशय का नाश होता है, सशय का नाश होने पर यात्मिकशक्ति का विकास होता है, और आत्मिक-शक्ति का विकास होने पर समस्त दुखो का नाश स्वय सिद्ध है। प्राचीन धर्म ग्रन्थो मे नवकार का दूसरा नाम परमेष्ठी मत्र भी है, जो महान् आत्माएँ परम अर्थात् उच्च स्वरूप मे-समभाव मे स्थिर रहती हैं, वे परमेष्ठी कहलाती है। आध्यात्मिक विकास के ऊँचे पद पर पहुँचे हुए जीव ही परमेष्ठी माने गए है । और जिसमे उन परमेष्ठी आत्मानो को नमस्कार किया हो, वह मत्र परमेष्ठी मंत्र कहलाता है। महामगल जैन-परम्परा नवकार मत्र को महान् मगल रूप में बहुत बडा आदर का स्थान देती है। अनेक आचार्यों ने इस सम्बन्ध मे नवकार की महिमा का वर्णन किया है और नवकार की चूलिका मे भी कहा गया है कि नवकार ही सब मगलो मे प्रथम अर्थात् अनन्त आत्म-गुरणो को अभिव्यक्त करने वाला सर्व-प्रधान मगल है- ' __"मंगलाणं च सन्वेसि पढम हवइ मगलं ।" हाँ, तो अब जरा मगल के ऊपर भी विचार कर ले कि वह प्रधान मगल किस प्रकार है ? मगल के दो प्रकार है-एक द्रव्य मंगल और दूसरा भाव मगल । द्रव्य मगल को लौकिक मगल और भाव मगल को लोकोत्तर मगल कहते है। दही और अक्षत आदि द्रव्य मगल माने जाते हैं। साधारण जनता इन्ही मगलो के व्यामोह मे फँसी पड़ी है। अनेक प्रकार के मिथ्या विश्वास द्रव्य मगलो के कारण ही फैले हुए हैं। परन्तु, जैन धर्म द्रव्य मगल की महत्ता में विश्वास नही रखता । क्योकि ये मगल, अमगल भी हो जाते हैं और सदा के लिए दुखरूप अमगल का अन्त भी नहीं करते । अत द्रव्यमगल ऐकान्तिक और प्रात्यन्तिक मंगल नहीं हैं। दही और अक्षत (चावल) मगल माने जाते है । दही यदि ज्वर की दशा में खाया जाय, तो क्या होगा? अक्षत यदि मस्तक पर न लग कर आख मे पड जाय, तो क्या होगा? अमगल ही होगा न ? अस्तु, द्रव्य मगल का मोह
SR No.010073
Book TitleSamayik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1969
Total Pages343
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy