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________________ [ ५६ ] . आगे संसारके सब सुख दुःख शुद्ध निश्चयनयसे शुभ अशुभ कर्मोकर उत्पन्न होते हैं, और कर्मोको ही उपजाते हैं, जीवके नहीं हैं, ऐसा कहते हैं-(जीवानां) __ जीवोंके (बहुविध) अनेक तरहके (दुःखमपि सुखं अपि) दुःख और सुख दोनों ही (कर्म) कर्म ही (जनयति) उपजाता है । (आत्मा) और आत्मा (पश्यति) उपयोगमयी होनेसे देखता है, (परं मनुते) और केवल जानता है, (एवं) इसप्रकार (निश्चयः) निश्चयनय (भणति) कहता है, अर्थात् निश्चयनयसे भगवान्ने ऐसा कहा है । . भावार्थ-आकुलता रहित पारमार्थिक वीतराग सुखसे पराङ मुख (उलटा) जो संसारके सुख दुःख यद्यपि अशुद्ध निश्चयनयकर जोवसम्बन्धी हैं, तो भी शुद्ध निश्चयनयकर जीवने उपजाये नहीं हैं, इसलिये जीवके नहीं हैं, कर्म-संयोगकर उत्पन्न हुए हैं और आत्मा तो वोत रागनिर्विकल्पसमाधिमें स्थिर हुआ वस्तुको वस्तुके स्वरूप देखता है, जानता है, रागादिक रूप नहीं होता, उपयोगरूप है, ज्ञाता द्रष्टा है, परम आनन्दरूप है । यहां पारमार्थिक सुखसे उलटा जो इन्द्रियजनित संसारका सुख दुःख आदि विकल्प समूह है वह त्यागने योग्य है, ऐसा भगवान्ने कहा है, यह तात्पर्य है । अथ निश्चयेन बंधमोक्षो कर्म करोतीति प्रतिपादयतिबंधु वि मोक्खु वि सयलु जिय जीवहं कम्सु जणेई । अप्पा किंपि वि कुणइ णवि णिच्छउ एउ भणेइ ॥६५॥ - बन्धमपि मोक्षमपि सकलं जीव जीवनां कर्म जनयति । आत्मा किमपि करोति नैव निश्चय एवं भणति ।।६।। ___ आगे निश्चयनयकर बन्ध और मोक्ष कर्म जनित ही है, कर्मके योगसे बन्ध और कर्मके वियोगसे मोक्ष है, ऐसा कहते हैं- (जीव) हे जीव (बंधमपि) बन्धको (मोक्षमपि) और मोक्षको (सकलं) सबको (जीवानां) जीवोंके (कर्म) कर्म ही (जनयति) करता है, (आत्मा) आत्मा (किमपि) कुछ भी (नैव करोति) नहीं करता, (निश्चयः) निश्चयनय (एवं) ऐसा (भणति) कहता है, अर्थात् निश्चयनयसे भगवान्ने ऐसा कहा है। .. भावार्थ-अनादि कालको सम्बन्धवाली अयथार्थस्वरूप अनुपचरितासद्भूतव्यवहारनयसे ज्ञानावरणादि द्रव्यकर्मबन्ध और अशुद्धनिश्चयनय से रागादि भावक्रर्मके . बन्धका तथा दोनों नयों से द्रव्यकर्म भावककी मुक्तिको यद्यपि जोव करता है, तो भो
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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