SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 498
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ par a nRDS १६२ स्वयंभू स्तोत्र टीका प्रापके सामने अन्य एकांतमती ( शुचिरवौ खद्योता इव अभूवन् ) आषाढ काल में जब सूर्य निर्मल होता है उस समय जैसे जुगनू चमकते हैं ऐसे हो जाते भए । भावार्थ--यहां पर यह बताया है कि नमिप्रभु इसलिये पूज्यनीक हुए कि उनमें अरहन्त प्राप्त के योग्य जिन तीन विशेषणों की आवश्यकता है वे सब प्राप्त होते भए। प्रभु ने पहले तो शुक्लध्यान के बल से घातिया कर्मों का नाश कर डाला । इससे वे अठारह दोष रहित परम वीतराग होगए तथा प्रभु ने केवलज्ञान को झलकाया जिससे सर्व द्रव्यों के सर्व गुण पर्यायों को एक ही काल जान लिया, तीसरे प्रभु ने भव्य जीवों को मोक्ष मार्ग का सच्चा उपदेश दिया। प्रभु का अनेकान्तमई उपदेश प्राषाढ़ मासके निर्मल सूर्य की किरणों के समान प्रकाशमान होता हा । आपके उपदेश के सामने एकांतमतियों का उपदेश ऐसा तुच्छ भासता भया जैसे सूर्य के सामने जुगनू कीटों का प्रकाश लुप्त हो जाता है। वास्तव में अरहन्त अवस्था परम पूज्यनीय हैपूजारिहो दु जहना धरणिंदरिदसुरवरिंदाणं । परिरयरहस्समहणो अरहन्सो प्रच्चए तम्हा ।। १३४॥ भावार्थ-श्री अरहन्त भगवान धरणेन्द्र, चक्रवर्ती व इन्द्र आदि से पूज्यनीय हैं। प्रभु ने मोहनीय कर्म, ज्ञानावरण व दर्शनावरण व अन्तराय कर्मको नाश कर डाला है इसी से वे अरहन्त कहलाते हैं। प्रापने सर्ववित् प्रात्मध्यानं किया. कर्मबन्ध जला मोक्षमग कह दिया । आपमें केवलज्ञान पूरण भया, अनमती प्राप रवि जगनू सम होगया ।। १.७ ।। उत्थानिका-उस समय श्री नमिजिन ने सप्तभंगमय तत्व का उपदेश किया, ऐसा प्राचार्य कहते हैं विधेयं वार्य चानुभयमुभयं मिश्रमपि तद् । विशेषैः प्रत्येक नियमविषयश्चापरिमितः ।। : सदान्योन्यापेक्षः सकलभुवनज्येष्ठगुरुणा। * त्वया गीतं तत्त्वं बहुनयविवक्षेतरवशात् ॥ ११८ ।। अन्वयार्थ-सकलभुवनज्येष्ठगुरुणा त्वया ] तीन लोक में महान गुरु ऐसे हैं ।
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy