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________________ 1 [ २० इसमें पांच दोहोंमें जो हरिहरादिक बड़े पुरुष अपना मन स्थिरकर जिस परमात्माका ध्यान करते हैं, उसीका तू भी ध्यान कर, यह कहते हैं - ( हरिहरा : ) इन्द्र, नारायण, और रुद्र वगैरे : बड़े-बड़े पुरुष ( त्रिभुवनवंदितं) तीन लोककर वंदनीक (त्रैलोक्यनाथ ) ( सिद्धिगतं ) और केवलज्ञानादि व्यक्तिरूप सिद्धपनेको प्राप्त (यं एव ) जिस परमात्माको हो ( ध्यायंति ) ध्यावते हैं, (लक्ष्यं) अपने मनको (अलक्ष्ये) वीतराग निर्विकल्प नित्यानन्द स्वभाव परमात्मा में (स्थिरं धृत्वा) स्थिर करके ( तमेव ) उसीको हे प्रभाकरभट्ट, तू (परमात्मानं ) परमात्मा ( मन्यस्व ) जानकर चितवन कर । सारांश यह है, कि केवलज्ञानादिरूप उस परमात्मा के समान रागादि रहित अपने शुद्धात्माको पहचान, वही साक्षात् उपादेय है, अन्य सब संकल्प विकल्प त्यागने योग्य हैं । अब संकल्प विकल्पका स्वरूप कहते हैं, कि जो बाह्यवस्तु पुत्र, स्त्री, कुटुम्ब, बांधव वगैरह सचेतन पदार्थ, तथा चांदी, सोना, रत्न, मणिके आभूषण वगैरह अचेतन पदार्थ हैं, इन सबको अपने समझे, कि ये मेरे हैं, ऐसे ममत्व परिणामको संकल्प जानना । तथा मैं सुखी, मैं दुःखी, इत्यादि हर्ष विषादरूप परिणाम होना वह विकल्प है । इस प्रकार संकल्प विकल्पका स्वरूप जानना चाहिये ||१६|| अथ नित्यनिरञ्जन ज्ञानमयपरमानन्दस्वभावशान्त शिवस्वरूपं दर्शयन्नाह— च्चि खिरं जगु णाणमउ परमाणंद-सहाउ | जो एहउ सो संतु सिउ तासु मुजिहि भाउ ॥ १७ ॥ नित्यो निरञ्जनो ज्ञानमयः परमानन्दस्वभावः । य ईदृशः स शान्तः शिवः तस्य मन्यस्व भावम् ||१७|| आगे नित्य निरंजन ज्ञानमयी परमानन्दस्वभाव शान्त और शिव स्वरूपका वर्णन करते हैं— (नित्यः) द्रव्यार्थिकनयकर अविनाशी ( निरंजन :) रागादिक उपाधि से रहित अथवा कर्ममलरूपी अंजनसे रहित (ज्ञानमयः) केवलज्ञान से परिपूर्ण और (परमानंदस्वभावः) शुद्धात्म भावना कर उत्पन्न हुए वीतराग परमानन्दकर परिणत है, (यः ईदृशः ) जो ऐसा है, (सः) वही (शांतः शिवः) शान्तरूप और शिवस्वरूप है, (तस्य ) उसी परमात्माका (भाव) शुद्ध बुद्ध स्वभाव ( जानीहि ) हे प्रभाकरभट्ट, तू जान अर्थात् ध्यान कर ॥ १७॥
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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