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________________ परमात्मप्रकाश सिद्ध ेः सम्बन्धी पन्थाः भावो विशुद्ध एकः । : यः तस्माद्भावात् मुनिश्चलति स कथं भवति विमुक्तः ||६|| [ १७३ आगे शुद्ध भाव ही मोक्षका मार्ग है, ऐसा दिखलाते हैं - (सिद्ध: संबंधी ) मुक्तिका ( पंथाः) मार्ग ( एक: विशुद्धः भावः ) एक शुद्ध भाव ही है । (यः मुनिः ) जो मुनि ( तस्मात् भावात् ) उस शुद्ध भावसे ( चलति ) चलायमान हो जावे, तो (सः) वह (कथं ) कैसे ( विमुक्तः) मुक्त (भवति) हो सकता है ? किसी प्रकार नहीं हो सकता । भावार्थ - जो समस्त शुभाशुभ संकल्प विकल्पोंसे रहित जीवका शुद्ध भाव है, वही निश्चयरत्नत्रयस्वरूप मोक्षका मार्ग है । जो मुनि शुद्धात्म परिणामसे च्युत हो जावे, वह किस तरह मोक्षको पा सकता है ? नहीं पा सकता । मोक्षका मार्ग एक शुद्ध भाव ही है, इसलिये मोक्षके इच्छुकको वही भाव हमेशा करना चाहिये ||६|| अथ क्वापि देशे गच्छ किमप्यनुष्ठानं कुरु तथापि चित्तशुद्धि विना मोक्षो नास्तीति प्रकटयति जहिं भावइ तहिं जाहि जिय जं भावइ करि तं जि । केइ मोक्खु प्रत्थि पर चित्तहं सुद्धि ण जं जि ॥७०॥ यत्र भाति तत्र याहि जीव यदु भाति कुरु तदेव । कथमपि मोक्षः नास्ति परं चित्तस्य शुद्धिर्न यदेव ||७०|| आगे यह प्रकट करते हैं, कि किसी देशमें जावो, चाहे जो तप करो, तो भी चित्ती शुद्धि के बिना मोक्ष नहीं है - (जीव) हे जीव, (यत्र ) जहां (भाति) तेरी इच्छा ही (तत्र) उसी देश में (याहि) जा, और (यत्) जो (भाति) अच्छा लगे, (तदेव ) वही (कुरु) कर, (परं) लेकिन (यदेव) जबतक (चित्तस्य शुद्धिः न ) मनकी शुद्धि नहीं है, तबतक ( कथमपि ) किसी तरह (मोक्षो नास्ति ) मोक्ष नहीं हो सकता । भावार्थ - बड़ाई, प्रतिष्ठा, परवस्तुका लाभ, और देखे सुने भोगे हुए भोगों की वांछारूप खोटें ध्यान, ( जो कि शुद्धात्मज्ञानके शत्रु हैं ) इनसे जब तक यह चित्त रंगा हुआ है, अर्थात् विषय- कषायोंसे तन्मयी है, तबतक हे जीव; किसी देश में जा, तीर्थादकों में भ्रमण कर, अथवा चाहे जैसा आचरण कर, किसी प्रकार मोक्ष नहीं है । सारांश यह है कि काम-क्रोधादि खांटे ध्यानसे यह जीव भोगोंके सेवन के बिना भो
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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