SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १०० ] की अनुभूतिके शत्रु जो काम-क्रोधादि विकल्परूप मेघ हैं, उनके नाश होनेपर निर्मल मनरूपी आकाशमें केवलज्ञानादि अनन्तगुणरूप किरणोंकर सहित निज शुद्धात्मारूपी सूर्य प्रकाश करता है ।।११६।। अथ यथा मलिने दर्पणे रूपं न दृश्यते तथा रागादिमलिनचित्रे शुद्धात्मस्वरूपं न दृश्यत इति निरूपयति राएं रंगिए हियवडए देउ ण दीसह संतु। दप्पणि मइलए बिंबु जिम एहउ जाणि णिभंतु ॥१२०॥ रागेन रञ्जिते हृदये देवः न दृश्यते शान्तः । दर्पणे मलिने बिम्बं यथा एतत् जानीहि निर्धान्तम् ।।१२०॥ आगे जैसे मैले दर्पणमें रूप नहीं दीखता, उसी तरह रागादिकर मलिन चित्तमें शुद्ध आत्मस्वरूप नहीं दीखता, ऐसा कहते हैं-(रागेन रंजिते ) रागकरके रंजित (हृदये) मनमें (शांतः देवः) रागादि रहित आत्मा देव (न दृश्यते) नहीं दीखता, (यथा) जैसे कि (मलिने दर्पणे) मैले दर्पण में (बिंबं) मुख नहीं भासता (एतत्) यह बात हे प्रभाकरभट्ट, तू (निांत) सन्देह रहित (जानीहि) जान । भावार्थ-ऐसा श्रीयोगीन्द्राचार्यने उपदेश दिया है कि जैसे सहस्त्र किरणोंसे शोभित सूर्य आकाशमें प्रत्यक्ष दीखता है, लेकिन मेघसमूहकर ढंका हुआ नहीं दीखता, उसी तरह केवलज्ञानादि अनन्त गुणरूप किरणोंकर लोक-अलोकका प्रकाशनेवाला भी इस देह (घट) के बीच में शक्तिरूपसे विद्यमान निज शुद्धात्मरूप (परमज्योति चिद्रूप) सूर्य काम क्रोधादि राग द्वेष भावोंस्वरूप विकल्प-जालरूप मेघसे ढंका हुआ नहीं दीखता ।।१२०॥ अथानन्तरं विषयासक्तानां परमात्मा न दृश्यत इति दर्शयतिजसु हरिणच्छी हियवडए तसु णवि बंभु वियारी । एकहि केम समंति वढ वे खंडा पडियारि ॥१२१।। यस्य हरिणाक्षी हृदये तस्य नैव ब्रह्म विचारय । एकस्मिन् कथं समायातौ वत्स द्वौ खङगौ प्रत्याकारे (?) 1॥१२१।। आगे जो विषयों में लीन हैं, उनको परमात्माका दर्शन नहीं होता, ऐसा दिखलाते हैं-(यस्य हृदये) जिस पुरुषके चित्तमें (हरिणाक्षी) मृगके समान नेग्रवाली
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy