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________________ ४ ] [ कुन्दकुन्द परमागम श्री कुन्दकुन्द कहान दि० जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट द्वारा महान ग्रंथाधिराज समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, पंचास्तिकाय तथा अष्टपाहुड़ के अनेक संस्करण अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से कोई भी कृति जैसे ही समाप्त होती है, वह तत्काल पुनः प्रकाशित की जाती है, ताकि प्रा० कुन्दकुन्द के ये पंच परमागम हर समय आत्मपिपासुत्रों को उपलब्ध रहें । इस कृति को तैयार करने में डॉ० भारिल्लजी ने जो व्यापक परिश्रम किया है, उसके लिए तो हम उनके प्रभारी हैं ही, साथ ही पुस्तक प्रापके हाथों तक पहुँचाने का श्रेय प्रकाशन विभाग के प्रबन्धक अखिल बंसल को है, जिन्होंने शीघ्र मुद्रण तथा बाइण्डिंग व्यवस्था में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। आचार्य कुन्दकुन्द की वाणी जन-जन में पहुंचे और अहिंसा धर्म का जयघोष विश्व में सर्वत्र हो - इसी भावना के साथ नेमीचंद पाटनी ११ दिसम्बर, १९८८ ई० महामंत्री, पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर ― प्रस्तुत संस्करण की कीमत कम करनेवाले दातारों की सूची १. श्री हंसराजजी जैन, बहादुरगढ़ २. राजमतीबाई जैन, बारां ३. श्री दिलसुखजी पहाड़िया, पीसांगन ४. श्री जयन्तिभाई धनजीभाई दोशी, दादर बम्बई ५. श्रीमती कमला जैन, जयपुर ६. प० लालारामजी साहू, अशोकनगर ७. गुप्तदान : हस्ते श्री पूनमचन्दजी छाबड़ा, इन्दौर श्रीमती नालीवेन मणिलाल, जाम्बूडी ८. ६. श्री मांगीलालजी पदमकुमारजी पहाड़िया, इन्दौर १०. सरस्वती देवी अभिनन्दन कुमारजी टड़या, ललितपुर ११. चौधरी फूलचन्दजी जैन, बम्बई १२. श्रीमती घुड़ीबाई खेमराज गिडिया, खैरागढ़ कुल २१०० ) ५००) ३०० ) १११) १०१ ) १०१) १०१) १०१) १०१ ) १०१) १०१) १०१ ) ३८१९)
SR No.010068
Book TitleKundakunda Aur Unke Panch Parmagama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1988
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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