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________________ ho ( ३० ) शरीर में कॅप कॅपी होने लगती है । इसलिये जमाई के वेग को भी नहीं रोकना चाहिये । प्पास रोकन के रोग-प्यास के रोकने से कण्ठ और मुंह से खुश्की हो जाती है, इससे बहरापन, थकावट, श्वास और हृदय में पीड़ा होने लगती है । ___ प्रांमुत्रों के रोकने का रोग-श्रांसुओं के रोकने से जुकाम, नेत्र रोग, हृदय के रोग अन्न में अरुचि हो जाती है । इसलिये प्रांसुओं के वेग को भी नहीं रोकना चाहिये । जो लोग रोते हुए बालक को एक दम चुप करना चाहते हैं और उसके रोने के वेग को एक दम चुप कर देते हैं सो भी अच्छा नहीं है । नींद के रोकने के रोग-नींद के रोकने से जंभाई, हड़ फूटन, सिर के रोग, आखों में भारीपन, इत्यादि रोग पैदा हो जाते हैं । इसलिये नींद का रोकना हानिकारक है । , पाठ १७-अकर्तव्य कर्मों का वर्णन। झूठ, चोरी, पराई स्त्री को पाप की दृष्टि से देखना, दूसरे के धन पर लालच करना, वैर करना, निंदा करना, अधर्मी और देश द्रोही के साथ रहना, बुरी सवारियों पर -
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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