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________________ दूसरा भाग ३५ ३ - हवा अपना रूप छोटे से बड़ा और बड़े से छोटा कर सकती है। ४ – हवा मे प्रत्येक स्थान में असंख्य उड़ते हुए जीव हैं, यह विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है । सूई के अग्र भाग जितनी हवा मे लाखों जीव बैठ सकते हैं । उन्हें थेक्सस कहते हैं । भगवान ने तो पहिले वायुकाय में जीव बताए है और उन जीवों की दया पालने ही के लिए साधु लोग मुँह पर मुँहपत्ति रखते हैं और इस प्रकार वायुकाय की रक्षा करते हैं । श्रावकों के लिए भी सामायिक, पोषध आदि धार्मिक क्रिया करते समय तथा उसी प्रकार साधुत्रों के साथ बात चीत करते वख्त भी मुँहपत्ति रखने की आज्ञा है । ' छ काय ( भाग ४ ) सुमति - प्रेमी बन्धु । आपने अपार कृपा करके पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु काय में रहे हुए जीवों की सिद्धि कर दिखाई | अव कृपा करके वनस्पति में रहे हुए जीवों की सिद्धि कर बतावें तो मैं आभारी होऊँगा ।, जयंत - ज्ञान प्रेमी भाई, पृथ्वी आदि स्थावर जीवों आदि के सम्बन्ध की सारी दलीलें आप समझ गए हैं तो वनस्पति के जीवो की सिद्धि समझने में देर नहीं लगेगी, क्यो कि आज विज्ञान में निपुण सर जगदीशचंद्र बोस जैसों ने अनेक सभाएँ कर के यह आम तौर पर सिद्ध कर दिया है कि वनस्पति भी जीवों का पिण्ड है । सुन - १ - मनुष्य जिस तरह माता के गर्भ में पैदा होता है
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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