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________________ [ ५६ ] ६, संवर - कर्म का रुकना । ७, निर्जरा- - कुछ अंश से कर्म दूर होना । ८, बंध - जीव के साथ कर्मों का बँधना । > ६, मोच - सब कर्मों का छूट जाना और अनंत सुख की प्राप्ति होना । ३६ - प्रश्नोत्तर ( १ ) प्रश्न - जैन किसको कहते हैं ? उत्तर - जो क्रोध, मान, कपट और लोभ को जीतने का प्रयत्न करे, उसे जैन कहते हैं । ( २ ) प्रश्न - धर्म का मूल क्या है ? उत्तर - विवेक पूर्ण अहिंसा और सत्य | ( ३ ) प्रश्न - जैन कौन बन सकता है ? उत्तर - उच्च नीतिमान मनुष्य ही जैन बन सकता है, चाहे वह किसी भी जाति का हो। }
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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