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________________ [ ५५ ] स्त्री धन और भोग के सर्वथा त्यागी होते हैं । गुरु दिन रात ज्ञान-ध्यान व तप-संयम से अपनी और पर का कल्याण करते हैं । धर्म - ** पवित्र कर्तव्य को धर्म कहते हैं । धर्म से सच्चा सुख मिलता है । धर्म से सब दुःखों का नाश होता है । किसी जीव को दुख नहीं देना, सच बोलना चोरी नहीं करना, ब्रह्मचर्य पालन करना और संतोषी रहना धर्म है । क्षमा, विनय और उदारता' धर्म है । दान, शील, तप और शुभ भावना धर्म じ है । ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप भो धर्म हैं । 7 1 ३८-नौ-तत्त्व | 12 १, जीव-जो सुख दुःख को जाने, ज्ञान जिसका लक्षण है । २, अजीव - जो सुख दुख को न जानें, ऐसे जड़ पदार्थ | । ३, पुण्य-भले काम, जिनसे सुख हो । ४, पाप - बुरे काम, जिनसे दुःख मिले । ५, आश्रव - शुभाशुभ कर्मों का आना ।
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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