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________________ देशभक्त और प्रबल समाजसुधारक माननीय श्री चिरंजीलाल जी वड़जात्या LKEdit SHAN माननीय श्री वडजात्याजी जैन समाज के पुराने समाजसेवी और कट्टर देशभक्त है । पूज्य गाधीजी के पाचवे पुत्र स्वनाम धन्य सेठ जमुनालाल जी बजाज के यहा प्रमुख कार्य करने वाले कार्यकर्ता है। गाधीजी की शिक्षामो को आपने अपने जीवन में उतार कर सात्विक रहन-सहन और उच्च विचारो का महान मादर्ण प्रस्तुत किया। लाला तनमुखरायजी से पाप अत्यधिक प्रभावित थे। आपके भावमयी उद्गार प्रशसनीय और उनके प्रति अमीम प्रेम प्रकट करने वाले है। आपने ग्रन्थ के कार्य मे पूर्ण सहयोग प्रदान किया है। LONI आदरणीय लाला तनसुखरायजी जैन समाज में एक सम्माननीय व्यक्तियो मे हो गए। स्व० लालाजी का नाम जैन समाज के इतिहास मे स्वर्णाक्षरो से लिखा जाएगा। निःस्वार्थ भाव से देश एव समाज की उनके द्वारा अनेक सेवाएं हुई है। वे दिगम्बर जैन परिषद के मत्री थे। समाज मे जो अनेक त्रुटियों थी उनमे सुधार कर समाज के अनेक पंथो को एक सूत्र मे लाने का महान कार्य उनके उत्साह एव सहयोग से ही पूरा हो सका है। अन्तर्जातीय विवाह के वे बहुत-बहुत पक्षपाती थे जिस कारण अनेक अन्तर्जातीय विवाह सम्पन्न हुए। समाज के पढ़े-लिखे और होनहार विद्यार्थियो पर उनका बहुत स्नेह था । इस लिए ऐसे विद्यार्थियो को जगह-जगह अच्छे काम पर लगा दिया करते थे। वह विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी दिलवाते थे और खुद के पास से स्वय देते भी थे। ___ स्व० लालाजी बटे शान्त, नम्र और धैर्यशाली व्यक्तियो मे से थे। किसी बात का निर्णय वह जल्दवाजी मे न कर बहुत सोचकर ही उचित निर्णय करते थे। इस कारण कितना भी दुखी हृदय का व्यक्ति उनके पास जावे वह सुखी और समाधान कर ही उनके पास से लौटता था। श्री तनसुखरायजी भारत जैन महामडल की पकिंग कमेटी के भी एक सदस्य थे इस कारण उनके विचार का लाभ मडल को हमेशा मिलता रहा है। समन जैन समाज को एक सूत्र ७२ ]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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