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________________ प्रेरणा प्राप्त करें श्री भुवनेन्द्र 'विश्व जवाहरगंज, जबलपुर स्व० तनसुखरायजी का स्मृति-ग्रन्थ तैयार करने का आयोजन किया जा रहा है। यह समाज के लिए गौरव का विषय है कि वह अपने कर्मठ व्यक्तियो का समुचित सम्मान करने के लिए प्रयत्नशील है। मेरा उनका कोई व्यक्तिगत सम्बन्ध नहीं था फिर भी मै उनकी समाज सेवा की लगन से बहुत प्रभावित रहा हूँ। मेने उनको झासी और दिल्ली के परिषद्-अधिवेशन मे देखा है। हर काम मे उन्ही को सक्रिय सहयोग देते हुए देखकर लगता था कि यदि परिषद् का प्रत्येक कार्यकर्ता इसी लगन से समाज सेवा मे तत्पर रहे तो परिपद् अपने उद्देश्य मे पूर्ण सफल हो सकेगी। मैं प्रत्येक नवयुवक से आग्रह करता हूँ कि वह भी अपने आपको स्व० तनसुखरायजी के जीवन से प्रेरणा प्राप्त करे और उनकी तरह से तन, मन, धन और मनसा वाचा कर्मणा जाति, समाज और देश की सेवा में समर्पित कर दे। xxxx परिषद् का सपूत श्री सलेकचंद जैन बड़ौत (मेरठ) समाचार पत्रो मे कई वार पढने मे पाया है कि ला० तनसुखराय जैन की स्मृति मे एक पथ निर्माण किया जा रहा है । इस बात से मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। लालाजी की स्मृति मे अथ का प्रकाशन समाज को उदारता का परिचायक है । वास्तव मे ला. तनसुखरायजी, जैन समाज में अपने समय के एक क्रातिकारी, समाज-सुधारक, तथा जैन समाज में नव-परिवर्तन करने वाले बडे साहसी पुरुप हुए है। लालाजी ने लगभग ४० वर्ष तक निरन्तर जैन समाज की सेवा में अपना समय लगाया और साथ-साथ अपने तन, मन, धन को लगाया। जो भी कदम उठाया वह अति प्रशसनीय तथा सराहनीय रहा । परिषद् से लालाजी अधिक प्रकाश में आये किन्तु मुझे यह कहने मे जरा भी हिचक नही कि परिपद् की नीव को सुदृढ करने तथा परिषद् को ख्याति बननेबनाने मे लालाजी का सहयोग एक वरदान सिद्ध हुमा है । ला० तनसुखरायजी जैन ने परिपद् के प्लेटफार्म से जैन समाज को नवीनता दी। समाज मे नव-चेतना का संचार किया। मुझे यह कहने में कोई सकोच नहीं कि उनकी मृत्यु के पश्चात् अब परिषद् शक्तिहीन और निर्बल सस्था पड गई है। लालाजी परिपद् के सजग प्रहरी थे। उनकी स्मृति में प्राज जैन समाज की भोर से यह स्मृति-प्रथ प्रकाशित करना अपने योग्य तथा कर्मठ कार्यकर्ता के प्रति श्रद्धाजलि अर्पित करता है । अन्त मे-"वे अमर रहे हजारो वर्ष, हर वर्ष के हो हजार दिन"। [७१
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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