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________________ इस सम्बन्ध मे देश के विभिन्न भागो से राष्ट्रीय और सामाजिक नेताओं और कार्यकामो के जो उत्साहवर्धक पत्र आए जिनमे इस कार्य की मुक्तकठ से प्रशंसा की थी और सभी प्रकार सहयोग देने का वचन दिया था उनमे से कतिपय इस प्रकार है :श्री एस. सत्यमूर्ति त्यागराज, मद्रास . मुझे यह जानकर हर्ष हुआ कि समस्त जैनो की कान्फ्रेंस व्यावर मे होने जा रही है। में पापकी प्रधानता मे कान्फेन्स की हर प्रकार से सफलता की कामना करता हूँ। श्री व्रजलालजी वियाणी, सदस्य कौसिल आफ स्टेट, अकोला (वरार) मैने आबू के जैन मदिरो के सम्बन्ध मे सामग्री पढी। इस बारे मे मैं आपकी कौनसी सेवा कर सकता हूं लिखिये। मेरे योग्य जो कार्य होगा, आज्ञानुसार उसे पालन करने का प्रयत्न करूंगा। श्री सेठ गोविंददास, एम. एल ए सेन्ट्रल जवलपुर _____ाबू के जैन मदिरो के टैक्स का हाल मुझे भलीभांति मालूम है और मेरा स्पष्ट मत है कि यह यात्रियो पर निरर्थक भार है। इस दिशा मे आपका प्रयल सफल हो, यही मेरी हार्दिक कामना है। श्री श्रीप्रकाशजी, एम. एल. ए, वनारस मुझे प्रादू के मदिरो के दर्शनार्थियो की कठिनाइयो का हाल जानकर हार्दिक खेद हुआ। मैं आशा करता हूँ कि इस दशा मै प्रापका प्रयल उच्च अधिकारियों पर वांछनीय प्रभाव डालेगा। इस दशा मे मै आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ? श्री के. एम मुशी भू० पू० मिनिस्टर, वम्बई सरकार प्रावू के दर्शनार्थियो के टेक्सो को दूर कराने की दशा में मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ, लिखिये। श्री डा. श्यामाप्रसाद मुकर्जी, गृहमत्री वगाल सरकार मेरी उन सभी पादोलनो के साथ गहरी सहानुभूति है जो निरकुशता के विरोध में किये जाते हैं और विशेप रूप से धार्मिक विधियो की स्वतत्रता की दिशा में किये गये आंदोलनो का मै पूर्ण समर्थक हूं। मुझे विश्वास है कि आपकी प्रधानता मे कान्फ्रेस को सफलता मिलेगी। श्रीमान् सेठ जुगलकिशोरजी विडला का हिन्दू धर्म सेवा संघ द्वारा प्राप्त सदेश सेठजी के विचारानुकूल इस आदोलन की ओर हिन्दू महासभा तथा उपयुक्त हिन्दू सम्यामो को इस ओर प्रांदोलन करने के लिए संघ द्वारा लिखा जा रहा है, सघ आपकी कान्फेन्स की पूर्ण सफलता चाहता है। हिन्दू भावना की सुरक्षा और उसके विरुद्ध विवेकहीन कार्यों का विरोध करना वास्तव में उचित और न्यायपूर्ण है। सघ आपके इस आंदोलन मे भौचित्य अनुभव करता है। [३७
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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