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________________ सत्य वचन परतीति करावै । सत्य वचन अमृत सम पावै ।। सत्य वचन सम नहिं तप कोई । सत्य वचन उत्तिम जग होई ।। ५. खुशालचन्द्र-इनका जन्म सागानेर वासी सुन्दरदास काला के यहां हुआ था। इनकी माता सुजाणदे और विद्यागुरु लिखमीदाम (लक्ष्मीदास) थे। खुशालचन्द्र जयसिंह पुरा भी रहे। खुशालचन्द्रजी श्रेष्ठ अनुवादक है। इन्होंने निम्नलिखित ग्रन्यो के पद्यानुवाद किये (१) उत्तर पुराण, (२) राम पुराण, (३) हरिवंश पुराण, (४) व्रतकथा कोप, (५) यशोवर चरित्र, (६) धन्यकुमार चरित्र, (७) जम्बू स्वामी चरित्र । ६. दौलतराम-वसवा निवासी दौलतराम कासलीवाल के पद्मपुराण, हरिवंश पुराण, आदि पुराण, श्रीपाल चरित्र, परमात्मप्रकाश, पुरुपार्थ सिघ्युपाय, उपासकाध्ययन, पुण्याश्रव कथाकोप व क्रियाकोष के टीकाकार के रूप मे १० रामचन्द्र शुक्ल, कामताप्रसाद जैन आदि 'इतिहास-लेखको ने अच्छे गद्यकार का स्थान दिया है, किन्तु दौलतराम कवि भी थे। चौवीस 'दण्डक, आदि छोटी रचनाओ के अतिरिक्त अध्यात्म बारहखड़ी उनका महत्वपूर्ण और विशाल ग्रन्थ है। अध्यात्म वारहखड़ी के पाठ अध्यायो के ५१५५ छन्दो मे जैन दर्शन व उपासना के अतिरिक्त नोति और भक्ति भी कवि का प्रतिपाद्य विपय है। दुर्गुणो से आक्रान्त भक्त दौलतराम की स्वउद्धारार्थ जिनेन्द्र से भाव-भरी प्रार्थना यहाँ दृष्टव्य है पागेउ मोह तनी जिनको प्रति काम जु क्रोध महा मद लोमा। वचकता अरु मत्सर भादि सर्व जु दुरातम कारन क्षोभा ॥ मोहि जु देव महादुप दीयउ नाहिं प्रभू कछु मो महि सोमा । पोट अपावन टारहि नकु न कूक सुनौ जगदेव प्रक्षोभा ।। ७ टोडरमल्ल-मोक्षमार्ग प्रकाशक के प्रणेता के रूप मे टोडरमल्ल भारत के सम्पूर्ण दिगम्बर समाज मे प्रख्यात व समादृत है । ये जयपुर मे जोगीदास गोदीका के यहाँ सं० १७६७ में उत्पन्न हुए। टोडरमल वडे धर्मात्मा, दार्शनिक व उपदेशक थे। खेद है कि स० १८२३-२४ में अल्पायु में ही इनकी साम्प्रदायिक झगडो के कारण मृत्यु हो गई। सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका, पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, प्रात्मानुशासन टोडरमल की अनूदित कृतिया है तथा रहस्यपूर्ण चिट्ठी व मोक्षमार्ग प्रकाशक स्वतन्त्र रचनाएँ । अनूदित ग्रथो मे टोडरमल्ल के जैनागमो के विस्तृत ज्ञान, विवेचन की शक्ति का ज्ञान होता है। मोक्षमार्ग प्रकाशक का लेखक विभिन्न मतो का ज्ञाता है तथा हार्दिक और स्वतन्त्र विचारक भी। इस ग्रन्थ मे टोडरमल साम्प्रदायिक आडम्बरो के विरोधी और जैनदर्शन की श्रेष्ठता के हामी प्रतीत होते है। ८ दीपचन्द-टोडरमल के अलावा जयपुर में दूसरे स्वतन्त्र गद्यकार दीपचन्द कासलीवाल ही हुए है । इनका जन्म तो सागानेर में हुआ किन्तु बाद में ये भामेर आ गए। दीपचन्द वीतरागी आध्यात्मिक ग्रन्यो के मर्मज्ञ थे। चिद्विलास, अनुभव प्रकाश, आत्मावलोकन, [३८७
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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