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________________ इसी प्रकार आस्ट्रेलिया के प्रोफेसर Jahanes Ude ने अपने यहा प्रशसनीय कार्य किया है । शाकाहार, अहिंसा प्रचार के सम्बन्ध में आपका कार्य शानदार रहा है । इनके इस कार्य मैं कई कठिनाइया आायी परन्तु इन्होने इसकी कुछ भी परवाह नही की । डा० Hugorio इसके अध्यक्ष है। श्री Evelin Guzeda सेक्रेटरी है। Mr Wiluram जो पत्र और प्रदर्शनी द्वारा शाकाहार का प्रचार करते हैं । Osterric Chister vegeteriarbund Wiem I Rethawsplate 1 Halbstock B इसका प्रधान कार्यालय है । विदेशो मे श्रहिसा की अभिरुचि जनता मे निरामिष भोजन की प्रवृत्ति बढ़ाने के प्रादर्श कार्य को "भारत वेजीटेरियन सोसायटी दिल्ली" बहुत समय से कर रही है। इस सोसायटी के सयोजक लाला तनसुखराय जैन ने एक पत्र लदन की फ्रेड्स वेजीटेरियन सोसायटी को बम्बई मे होने वाली वर्ल्ड वेजीटेरियन काग्रेस मे अपने प्रतिनिधि भेजने का निमन्त्रण भेजा था। उसके उत्तर मे उपर्युक्त संस्था के मंत्री टी० लेन के पत्र का कुछ भाग देते है, जिससे उनको प्रतिभास हो जाएगा कि विदेशा मे भी जीवो की हिंसा न करने की कितनी अभिरुचि है, "जैनियो और वोद्धमतानुयायियो मे जो जीवो के हिंसा न करने की परम्परा चली आ रही है उसका हम हृदय से आदर करते हैं । हमे श्रागा है कि वर्ल्ड वैजीटेरियन काग्रेस को पूरी सफलता मिलेगी । निरामिष प्रहार की प्रवृत्ति तथा अहिसा आन्दोलन विश्वभर मे फैलना चाहिए, इससे प्राणियो मे पारस्परिक सहयोग और सहायता की भावना फैलेगी । विश्व के मानव तथा पशुओ के वध को रोकने के लिए पश्चिमीय देश पूर्वीय देशो के नेतृत्व की ओर निहार रहे है। विश्व मे युद्ध न फैले, इसके लिए भारत बहुत काम कर रहा है। हमें आशा है। कि आप अहिसा और निरामिष भोजन की पद्धति को ससार के बहुभाग मे बढाने की प्रवृत्ति को जारी रक्खेगे ।" ० विदेशो मे शाकाहार के सम्बन्ध मे जो साहित्य प्रकट हुआ है उसकी सूची प्रकाशित कर रहे है । आशा है आप उससे लाभ उठावेंगे, और शाकाहार का प्रचार करेंगे । आचार्यश्री विहार करते हुए जा रहे थे, मार्ग मे एक विशाल आम्रवृक्ष श्रा गया । सन्तो ने उनका ध्यान उधर आकृष्ट करते हुए कहा - यह वृक्ष बहुत वडा हे । आचार्यश्री ने भी उसे देखा और गम्भीरता से कहने लगे-एक मूल में ही कितनी शाखाएँ-प्रशाखाएँ निकल जाती है। धर्म-सम्प्रदाय भी इसी प्रकार एक मूल में से निकली हुई शाखाएं होती है । परन्तु इनकी यह विशेषता है कि इनमें परस्पर कोई झगड़ा नही है, जबकि सम्प्रदायो मे नाना प्रकार के झगडे चलते रहते है । गाखाएं वृक्ष की शोभा है । उसी प्रकार सम्प्रदायो को भी धर्म-वृक्ष की शोभा बनना चाहिए । [ ३०३
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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