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________________ की पाजादी के लिए किए गए 'भारत छोडों ऐतिहासिक पादोलन के कारण कार्यकर्ताओं का ध्यान देश की स्वतत्रता की ओर लग गया और आंदोलन बन्द करना पड़ा। ज्योही देश स्वतत्र हुमा महारानी साहिवा सिरोही ने जनता की न्यायपूर्ण माग को स्वीकार कर लिया और जैन समाज के मस्तक के ऊपर लगे हुए कलक को धो डाला गया। __इस आदोलन की सफलता में उन सभी पत्रों, सामाजिक सस्थामी, हिन्दू और पायें समाज के प्रमुख विद्वानो, नेतामो और जैन समाज से सभी सम्प्रदायों के प्रमुख महानुभावो का हादिक सहयोग रहा जिनके प्रताप और सहयोग के कारण सफलता प्राप्त हुई। सफलता में मुस्य श्रेय समाज के त्याग को है, समाज ने तन-मन-धन से इस आदोलन में पूर्ण सहयोग प्रदान किया। फलस्वरूप सफलता का मुकुट समाज के मस्तक पर सुशोभित हुमा । किसी कवि ने उचित ही कहा हैवीर और शक्तिशाली पुरुषों को होने वाले अन्याय के विरोध में पूर्ण भक्तिगाली आवाज उठानी पाहिए। और तब तक गांति से नहीं बैठना चाहिए जब तक सफलता पैर को घूमने के लिए अग्रसर न हो उठे। वही सम्यक्दृष्टि जीव है जो घन की गक्ति, तलवार की शक्ति और विचार शक्ति के रहते हुए अन्याय को न तो सहन करता है और न दूसरो पर अन्याय करता है। यही जैन धर्म की शिक्षा है जिसका उत्तम पुरुष पालन करते है। इस आंदोलन से ममाज के युवको को शिक्षा लेनी चाहिए और अन्याय के विरोध में आवाज उठानी चाहिये। मफलता उनका स्वागत करेगी। पाबूटक्स विरोधी आन्दोलन के अवसर पर ब्यावर मे अध्यक्षपद पर सुशोभित होते हुए। ARTH ke + RECE AMNIC WR Not २९२ ]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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