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________________ परन्तु, वीरता, धौरता, रणकुशलता, देशप्रेम तथा बात के पक्के होने का प्रमाण आज भी इतिहास के पन्ने-पन्ने से मिल रहा है । कितनी ही बार हमारे राजाओ तथा राणामो की रक्षा इसी कौम के होनहारो ने अपने प्राण देकर भी की थी। कितनी ही बार स्वदेश-रक्षा के निमित्त इन्ही बहादुरो की तलवारे यवनो से लडी थी, कितनी ही शत्रुओ की आग बरसाने वाली तोपो का मुकाबला इन्ही रणबाकुरे सिपाहियो के तीरो, भालो और सनसनाते हुए वाणो ने किया था तथा कितनी ही बार इन्ही भील सरदारो ने देश के लिए अपने होनहार बच्चो को अर्पण कर दिया था। परन्तु कितने दुःख तथा शर्म की बात है कि हिन्दू धर्म के लिए प्राण देने वाली कौम के अनुयायी ही हिन्दू धर्म के मुख्य तीर्थ गौशाला के सहारक बने । गाय को मार कर अपने पेट की ज्वाला को शान्त करे ।। परन्तु इसमे उनका क्या दोष ' चे माज प्रशिक्षित है तब भी उन्हे सन्तोष है । उनके पास पहनने को कपडा नहीं, तो भी उन्हें परवाह नहीं। भगवान् ने उन्हें दुःख सहने की, गर्मी और सर्दी की तकलीफे बर्दाश्त करने की शक्ति दी है। आप उन्हे गुलाम बनाइये, मनचाहा काम उनसे लीजिये, सब कुछ बर्दाश्त करेंगे। वहा उन्हे अन्न न मिले न सही । घास-फूस-जगली कन्द-मूल पर गुजारा करेगे । परन्तु जब वह भी न मिले तो क्या करें? मज वर होकर उन्हें सब कुछ करना पड़ता है। खेती आदि के काम के लिए उनके पास गायें व बैल होते है, वे उन्ही को मार कर उनके मास से अपना उदर पोषण करते है। और इसके सिवाय चारा भी क्या ? जब उनके जानवरो को भी घास मिलना तक कठिन हो जाता है, तब मजबूरन उन्हें ऐसा करना होता है। आज उन्हे यदि उचित रूप से शिक्षा दी जाए, गोमाता की महत्ता को उन्हें बताया जाए, हिसा तथा चोरी की बुराइयो को उनके सामने रखा जाए, धर्म, पुरुषार्थ, उद्योग-धधा, कृषि, व्यापार, परोपकार, सेवा तथा गोभक्ति की शिक्षा पुस्तकीय तथा व्यावहारिक रूप से देकर विश्वप्रेम का पाठ पढाया जाए, तो कोई ऐसी शक्ति नहीं जो उन्हे सुन्दर नागरिक बनमे से रोक सके । आज भील जाति चोरी, हिंसा, डकैती आदि बुराइयो के कारण विश्व मे बदनाम हो रही है । यदि यही बुराइयां उनसे दूर कर दी जाये तो वह दिन दूर नहीं जब वह फिर अपने प्राचीन गौरव की याद कर देश के लिए हर तरह की कुरबानी करने के लिए तैयार रहेंगे। देश के लिए जियेंगे और देश के लिए मरेगे। इन्ही विचारो को लेकर मादर्श भील उद्योग प्राश्रम गगानगर का जन्म नीमखेडा स्टेट के चीफ ठाकुर गगासिंहजी द्वारा हुमा था। वैसे इस सस्था की उम्र अभी केवल ४॥ मास की है । परन्तु इस थोडे से समय में ही वह अपने कार्य में सफल हुई है। उस सफलता को देखकर कहा जा सकता है कि उपरोक्त संस्था को जनता का यदि कुछ भी सहयोग प्राप्त हुभा तो वह भारत की एक प्रादर्श सस्था प्रमाणित हो सकेगी। गत २२ मार्च को सस्था का उद्घाटन श्रीमान लाला तनसुखरायणी जैना मैनेजिंग डायरेक्टर तिलक बीमा कम्पनी लिमिटेड न्यू देहली के कर कमलो द्वारा हुआ । और तब से प्राज तक जो कार्य सस्था ने किया उसका विवरण दिया जाता है। २६६]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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