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________________ बहुत जल्द तरक्की करेगी।" -मिलाप उर्दू (लाहौर) .... • यह लाला तनसुखराय जैन मैनेजिंग डायरेक्टर कम्पनी की मजकूर कोशिशो और काबलियत का नतीजा है कि कम्पनी को पहले ही साल मे ४० हजार रु० प्रीमियम की आमदनी हुई है। --वीर इण्डिया उर्दू (देहली) ___".... 'कम्पनी के हिस्से हिन्दुस्तान भर मे हर तबके के लोगो मे फरोख्त हुए है, जिससे इसकी हरदिलमजीजी और सरगर्मी का इजहार होता है।" -तेज उर्दू (देहली) ..... ..... यह बात काबिले फसा है कि कम्पनी को ११ लाख ४३ हजार रुपये का बिजनिस मौसूल हुआ है । मैनेजिंग एजेट स ने अपना तमाम कमीशन (जिसके वह मुहायदे की रूह से हकदार थे) कम्पनी को छोड़ दिया है।" --प्रताप उर्दू (लाहौर) "वह वक्त दूर नहीं जबकि स्वर्गीय भगवान तिलक के आशीर्वाद से कम्पनी हिन्दुस्तान की बेहतरीन इन्शोरेन्स कम्पनियो में शुमार होगी।" -~-वतन उर्दू (देहली) वीर सेवा मंदिर साहित्य अनुसधान को एक आदर्श सस्था वीर सेवा मन्दिर समाज की एक जीवित सस्था है। इसके द्वारा साहित्य निर्माण अनुसंधान और प्राचीन साहित्य को नवीन ढग से सम्पादन करना इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय कार्य हुआ है । इसी सस्था की ओर से वीर शासन दिवस मनाना प्रारम्भ हुमा । १३ जोलाई १९३८ को वीर शासन जयन्ती उत्सव पर जो लालाजी ने भापण दिया वह उत्साह और जोश से परिपूर्ण है। आपने जिन कार्यों की ओर समाज का ध्यान आकर्षित किया प्रान भी वे कार्य उतने ही महत्वपूर्ण है जितने पहले थे। आत्मीय बन्धुभो और बहनो। ___ मैं सिपाही हूँ और सिपाही ही बना रहना चाहता हूँ। मै बोलना बहुत कम जानता हूँ, फिर भी मुझे बोलना पड रहा है, मानो बन्दूक से ग्रामोफोन का काम लिया जा रहा है। मेरी इच्छा है कि जब आपने मुझे इस पद पर प्रतिष्ठित किया है, नव अपना सेवक समझकर मुझसे कुछ सेवा भी लीजिये । मैं यह जानता हूँ कि मेरे पास पैसा और विद्वत्ता नहीं है, मगर साहस, २५६ ]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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