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________________ दूध-घी मिलावट कान्फ्रेंस स्वास्थ्य के लिए शुद्ध खानपान की आवश्यकता है। पर जिम देश मे घी-दूध की नदियाँ वहती थी आज वहाँ के निवासियो को शुद्ध वस्तु का मिलना दुर्लभ हो गया है। लालाजी ने इस बात का अनुभव किया और २१-२२ फरवरी १९४१ को दिल्ली में श्री से० गान्तिदासजी आसकरण, मेम्बर कौसिल आफ स्टेट की अध्यक्षता मे दूध-घी मिलावट कान्फ्रेंस की जिसका सक्षिप्त विवरण आपके सामने प्रस्तुत करते है। इससे आप भली प्रकार समझ सकेगे कि इस कान्फ्रेस का कितना प्रभावशाली असर हुआ । भारतवर्ष कृषिप्रधान देश है। यहा की ६० प्रतिशत जनता गावो मे रहती है और पशुपालन यहा का मुख्य व्यवसाय है। एक समय था जब भारत मे पशुपालन धर्म समझा जाता था और एक ही गृहस्थ लाखो की संख्या में पशु रखता था। यहा दूध-घी की नदिया वहती थीं। प्रत्येक गृहस्थ चाहे वह अमीर है चाहे गरीव, पर्याप्त मात्रा मे दूध, घी और अन्न से परिपूर्ण रहता था। कृपि से बहुत अन्न उत्पन्न होता था और पशुओ की अधिकता के कारण दूध-घी बहुत होता था। यहा के नर-नारी दूध-घी के सेवन में वलवान और बुद्धिमान होते थे। देश मे हनुमान, भीम, महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे पराक्रमी और बलवान हुए है, जिन्होंने अपने वन में हायियो तक को पछाड़ दिया था। ___ पहले की बात जाने दीजिये, अब भी जब तक हमे शुद्ध दूध और घी मिलता रहा हमारे देश मे राममूर्ति जैसे वलवान हुए है । क्या यह सच नहीं है कि गत १६१४ के महायुद्ध मे ताकत में भारत की फौजें दुनिया की पारी फांजी से बढ-चढकर थी। यह सव यहा के दूध-धी का ही प्रभाव था। हम देखते हैं कि हम नवयुवको से हमारे बूढे अव भी अधिक बलवान हैं। हम दिन-दिन क्यो कमजोर होते जा रहे है ? हमने बूटो को कहते सुना है कि जब हम जवान थे ५० और ६० मील पैदल चल मकत थे । किन्तु खेद है कि पान ऐसा नवयुवक शायद ही कोई हो। आज भारत के चारो और भयानक युद्ध हो रहा है । एक देश दूसरे देश को निगले जा रहा है। जो अधिक शक्तिशाली है उसी का आज जीवन समझा जा रहा है। और इस भयानक युद्ध की लपटं किसी भी समय भारत मे आ सकती है। हमे आतताइयों का चारी और से भय है । तब क्या हमे निर्वल होकर, दूसरो के पाँवो नीचे दबकर, कुत्तं की मौत मर जाना शोभा दंगा? क्या आपने कभी सोचा कि आज हमारे देश के नवयुवको का म्वास्थ्य क्यो दिन-दिन खराव होता जा रहा है ? क्यो नित्य नई बीमारिया पैदा हो रही है और निर्वल होने के कारण क्यो हमे चारों ओर से सताया जा रहा है । इसका केवल एक कारण है कि हमे शुद्ध दूध और घी खाने को नहीं मिलता । जहा दूसरे देशों में युवको के स्वास्थ्य का इतना ध्यान रखा जाता है वहा हमारे देश में दुर्भाग्यवश नवयुवकों के स्वास्थ्य को खराव करने वाली नई-नई चीज २५० ]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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