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________________ व्यापक कार्यदृष्टि और निर्मल भावना श्रीयुत तनसुखरायजी जैन की स्मृति के साथ उनके अपने प्रति ममत्व का श्रीर उनकी क्रियाशीलता का मुझे स्मरण हो याता है। मेरा उनका प्रनेक वर्षो तक सम्बन्ध रहा । में, दिल्ली जब काऊसिल श्राफ स्टेट के मेम्बर के नाते जाने लगा, तब से मेरा उनका परिचय हुग्रा और वह बढता ही गया । व्यक्तिगत और कोटुम्बिक तरीके से भी उनका सम्बन्ध श्राते गया । उनके कार्य की दृष्टि से उनकी व्यापक और सर्वग्राही शक्ति का मैं अवलोकन कर सका । वे जिस काम को करते थे, अत्यन्त लगन से करते थे और अपने अनेक कामो को करते हुए भी मैने उनमे ग्रहकार का अभाव पाया । बढी निर्मल भावना से वे अपने सब कामों को सपादित करते थे । उनके मित्रो का परिवार भी काफी बडा था । श्रार्थिक क्षेत्र मे पूर्णतया स्वावलम्बी होते हुए भी उनके जीवन मे सादगी थी और साथ ही जीवन व्यवस्था समयानुकूल भी थी । श्रीयुत तनमुखरायजी जैन की स्मृति मे ग्रथ निर्माण किया जा रहा है, यह जानकर मुझे प्रत्यत प्रसन्नता है । श्रच्छे स्थायी ग्रथ का निर्माण उनके प्रति कर्तव्यपालन होगा । इस प्रथ के लिए मै अपनी इन पक्तियो के साथ श्रीयुत तनसुखरायजी जैन की स्मृति मे अपनी अजी प्रेपित करता हूँ । कर्मठ एवं लगनशील व्यक्ति 0000 <' | x श्री ब्रजलाल faurit सदस्य विधान परिषद् महाराष्ट्र प्रदेश यह ज्ञात कर परम हर्प हुआ कि श्री लाला तनसुखरायजी जैन के विषय में स्मृति ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। श्री लालाजी जैन समाज के सुयोग्य, कर्मठ एवं लगनशील व्यक्ति रहे है श्रौर मुझे उनके निकटतम सम्पर्क में रहने का सुअवसर प्राप्त रहा है। भाशा है यह स्मृति प्रथ समाज के नवयुवको को समाज एवं धर्म सेवा के लिए स्फूर्ति एव प्रेरणाप्रद होगा । श्रापका यह प्रयास सर्वथा प्रशंसनीय है । X X दानवीर सेठ गजराजजी गंगवाल कलकत्ता X
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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