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________________ प्रेरणा के स्रोत श्री मिश्रीलाल गंगवाल योजना तथा विकासमन्त्री, मध्यप्रदेश स्वर्गीय ला० तनसुखरायजी की जीवनी और उनके कार्यों को लेखनीबद्ध कर सकलन करने का विचार वास्तव मे एक सराहनीय और उपयोगी पहल है। स्व० लाला तनसुखरायजी का मेरे पर अगाध स्नेह और ममत्व था। वे न केवल जैन समाज के प्रेरणा के स्रोत रहे वरन् देश के कर्मठ समाजसेवको मे उनकी गिनती थी। उनके ऊपर हमे गर्व था। उनके द्वारा किए गए समाजोपयोगी कार्य सदैव उनकी पवित्र स्मृति को उज्ज्वल रखेगे। वे एक तपे हुए काग्रेस-जन भी थे। उनमे राष्ट्रीयता और देशप्रेम कूट-कूट कर भरा हुमा था। जिन्हें भी उनके सामीप्य मे रहने का अवसर मिला वह उनके गुणो और कार्यशैली से प्रभावित हुए बिना न रह सका। उनका सौम्य और सरल रहन-सहन सबके लिए प्रेरणादायी था। उनके विपय मै जितना भी लिखा-कहा जाय कम ही होगा। उनके निधन से समाज की महान क्षति हुई। मैं आपके इस प्रयास की हृदय से सफलता की कामना करता हूँ। मेरी आपके इस शुभ प्रयत्न के साथ सपूर्ण सद्भावना और सहानुभूति है। उनका नाम अमर रहेगा श्री तस्तमल जैन भूतपूर्व मुख्यमंत्री मध्यभारत' लाला तनसुखरायजी से मेरा एक सार्वजनिक कार्यकर्ता के नाते काफी सम्पर्क रहा है। विवादो मे अधिक न उलझ कर उन्होने समाज की काफी सेवा की है। समाज-सुधारको । के इतिहास मे उनका नाम अमर रहेगा। जीवन पर्यन्त उन्होने अपने समाज के लक्ष्य को प्राप्त , करने हेतु हमेशा प्रयत्न किया है। ऐसे महान समाज-सेवक की स्मृति मे भाप अथ का सम्पादन , कर रहे है, इसकी मुझे बही खुशी है। मुझे आशा है कि उनके जीवन से नई पीढी लाभ उठाकर उनके पद-चिह्नो पर चलने का प्रयत्न करेगी।
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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