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________________ ईश्वरोपासना सब मिल के आज जय कहो श्री वीर प्रभू की। मस्तक झुका कर जय कहो श्री वीर प्रभु की ॥ १॥ विघ्नो का नाश होता है लेने से नाम के । माला सदा जपते रहो श्री वीर प्रभु की ॥२॥ ज्ञानी बनो दानी बनो बलवान भी बनो । अकलक सम वनकर करो जय वीर प्रभू की ॥ ३ ॥ होकर स्वतंत्र धर्म की रक्षा सदा करो । निर्भय बनो और जय करो श्री वीर प्रभू की ॥४॥ तुझको भी अगर मोक्ष की इच्छा हुई ए 'दास' । उस वाणी पर श्रद्धा करो श्री वीर प्रभू की ॥५॥ प्रार्थना ऐ वीतराग स्वामी, मैं हू गुलाम' तेरा । आठो पहर जबा पे रहता है नाम तेरा ॥ १ ॥ रहता है मुझको हर सुबह शाम तेरा । जपता हू तेरी माला लेता हू नाम तेरा ॥२॥ हर गुल" मे देखता हू जलवानुमा मे तुमको | बुलबुल की है जवा पै शीरी कलाम तेरा ॥ ३ ॥ यह बात मुझको हासिल तहरीर से हुई है । जिसमे दया भरी है वो है कलाम तेरा ॥४॥ • ६ कोई है तुझ पे माइल' कोई है तुझ पे मफ्तू ' । शैदाई हो रहा है हर खासो ग्राम तेरा ||५|| दिल प्राइना बनाया जिसने खुदी मिटा कर । वो देखता है दिल में दर्शन सुदाम तेरा ॥ ६ ॥ है 'दास' 'तुझ पे माइल कल्याणकारी भगवन् । जादू भरा सुना है जब से कलाम तेरा ||७|| १ सेवक २ फूल ३ चमकता हुआ ४ ठण्डा ५-६ मिटा हुआ ७ प्रेमी ८ हमेशा । १८]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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