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________________ श्रद्धामय व्यक्तित्व श्री केशरलाल बशी न्यू कालोनी, जयपुर लाला तनसुखरायजी जैन बडे ही उच्च व उदार विचारो के व्यक्ति थे । वे सच्चे देशभक्त, प्रसिद्ध समाज सेवी व कर्मठ नेता थे। युवको मे नवीन जागृति पैदा करना व उन्हे देश तथा समाज सेवा के लिए प्रोत्साहन देने की उसकी उत्कट अभिलाषा थी। उनकी प्रकृति व आकृति भी बहुत सौम्य थी । उनकी सम्पर्क मे जो भी व्यक्ति एक बार आ जाता था, वह उनके आकर्षण के कारण सदा के लिए उनका हो जाता था । माननीय केशरलालजी वस्शी जयपुर जैन समाज के वयोवृद्ध समाज सेवी और सुप्रसिद्ध कार्यकर्ता है। आपकी देखरेख में कई संस्थाओ का सचालन सुचारु रूप से चल रहा है। लालाजी के आप पुराने मित्र है । श्रापने लालाजी के प्रति उत्तम उद्गार प्रकट किए है । वैसे लालाजी से मेरा परिचय तो बहुत समय पहले से था, लेकिन उनसे निकट सम्पर्क सन् १८५२ मे हुआ, जब कि उन्होने उद्योग उन्नतिमडल नाम की सस्था का जयपुर में उद्घाटन किया और उसका ग्राफिस मेरे मकान बख्शी भवन, न्यू कालोनी, जयपुर मे ही रखा तब से मेरा उनके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध वढता हो गया- और मैने उन्हे अत्यत ही व्यवहारिक व सर्वसम्पन्न व्यक्ति पाया । उन्होने इसी विशेष गुण के कारण प्रत्येक क्षेत्र मे सफलता प्राप्त की। आज जब कि देश व समाज में उनके जैसे कर्मठ व समाज सेवी नेता की अत्यत आवश्यकता थी, वे हमारे बीच मे से असमय मे ही उठ गए। समाज मे उनके प्रभाव की क्षति पूर्ति निकट भविष्य में सम्भव नही है । मे दिवगत आत्मा के प्रति अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ । ( पृष्ठ ८० का शेप ) धमकी दी गयी थी । जब परिषद में उन पत्रो पर चर्चा चली, तव किसी की राय थी कि इन्हें पुलिस मे दे दिया जावे, किसी की राय थी कि ऐसी तरफ ना जाया जावे जहा इसका डर हो, व हिफाजत से जाया जावे श्रादि २, परन्तु लालाजी ने कहा था कि इन पत्रो को पुलिस मे देने की आवश्यकता नही है और न किसी प्रकार का भय खाने की, वेफिक्र जहा भी आओ जाओ । मेरी राय भी उनके अनुसार थी। ऐसा ही किया । २] लालाजी को मैं अपना सामाजिक गुरू मानता था। जब भी कोई अडचन माती थी उनसे विचार-विमर्श करने पर हल जाती थी । इतनी लगन वाले बहुत ही कम पैदा होते है । श्रीन
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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