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________________ जैनशासन भी विशेषता रही। मध्यकालीन भारतीय इतिहासके लिए इस विशाल जैन साहित्यका पारायण अत्यन्त आवश्यक है। एक ओर 'यशस्तिलकचम्यू' और 'तिलकमंजरी' जैसे विशाल गद्य ग्रन्थ है, जिनमे मुसलिम कालसे पहलेकी सामन्त सस्कृतिका सच्चा चित्र है, दूसरी ओर पुष्पदन्तकृत 'महापुराण' जैसे दिग्गज ग्रन्थ है, जिनसे भाषाशास्त्रके अतिरिक्त सामाजिक रहन-सहनका भी पर्याप्त परिचय मिलता है। वाणभट्टकी कादम्बरीके लगभग ५०० वर्ष बाद लिखी हुई तिलकमजरी नामक गद्यकथा संस्कृत साहित्यका एक अत्यन्त मनोहारी ग्रन्थ है। सस्कृतिसे, सम्बन्धित पारिभाषिक शब्दोका बडा उत्तम सग्रह इस ग्रथसे प्रस्तुत किया जा सकता है। 'उपमितिभवप्रपचकथा' और 'समराइच्चकहा भी वडे कथा-ग्रन्थ है, जिनमे स्थान-स्थान पर तत्कालीन सास्कृतिक चित्र पाए जाते है। देवानन्दमहाकाव्य, कुमारपालचरित्र, प्रभावकचरित्र, जम्बूस्वामी चरित तथा हीरसौभाग्यकाव्यमें इतिहासकी बहुमूल्य सामग्री विद्यमान है। 'भानुचन्द्रचरितम्' से सम्राट अकबर और उनके प्रमुख दरबारीजनों के चरित्र पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है। बनारसीदासजी महाकविके 'अर्धकथानक' के द्वारा अकबर तथा जहागीरकालीन देशकी परिस्थितिपर प्रकाश पडता है तथा यह भी विदित है कि मुस्लिम नरेशोके प्रति प्रजाजनका कितना गाढ अनुराग रहता था। ____ कागी गवर्नमेन्ट संस्कृत कालेजके प्रिंसिपल डा० मंगलदेवने 'जैन विद्वास सस्कृतसाहित्य च' नामक संस्कृत भाषामे लिखे गए विचारपूर्ण सुन्दर निवन्धमे 'अमरकोष' नामक प्रख्यात संस्कृत कोषको जैन रचना स्वीकार की है। उन्होने आत्मानुशासन, धर्मशर्माभ्युदय, सुभाषितरत्नसन्दोह, क्षत्रचूडामणि, विदग्धमुख मण्डन, यशस्तिलकचम्पू, जीव १ अनेकांत वर्ष ५, किरण १२ पृ० ३६४ ।
SR No.010053
Book TitleJain Shasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1950
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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