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________________ आत्मजागृतिके साधन-तीर्थस्थल २६१ जयपुर राज्यमे शिवदासपुरा स्टेशनके समीप एक नवीन अतिशय क्षेत्रकी उपलब्धि हुई है। उसे पद्मपुरी कहते है। ___ मध्यप्रान्तमे दमोहसे २२ मीलकी दूरीपर कुण्डलपुर क्षेत्र है। कहते है कि यवनराज औरगजेवने वहाकी भगवान् महावीरकी अतिशय मनोज्ञ पद्मासन १२ फीट ऊँची मूर्ति तुडवानेका प्रयत्न किया, किन्तु वहा की कुछ विशिष्ट घटनाओने यवन सम्राट्को चकित कर दिया, इससे उस तीर्थसे उसकी वक्र दृष्टि दूर हो गई। पर्वत कुण्डलाकृति है। ६४ जिन मदिरोसे बडा रमणीय मालूम पडता है। महावीर भगवान्के मदिर जिसे बडे बाबाका मन्दिर कहते है, के प्रवेश द्वारपर महाराज छत्रसाल के समयका शिलालेख खुदा हुआ है। विक्रम संवत् १७५७ में मन्दिरका जीर्णोद्धार होकर जो महापूजा उत्सव हुआ था उसमे छत्रसाल महाराजने भी भाग लिया था। उनके द्वारा भेंटमे प्रदत्त एक वड़ा थाल मन्दिरके भण्डारमे अभी सुरक्षित है। ___ राजपूतानामे आबू पर्वतपर अवस्थित जैन मदिर अपनी कलाके लिए विख्यात है। कर्नल टॉडने अपने राजस्थानमें लिखा है___"Beyond Controversy this is the most superb of all the temples in India and there is not an edifice besides the Tajmahal, that can approach it." -भारतवर्षके मदिरोमें यह श्रेष्ठ है यह बात निर्विवाद है। ताजमहलके सिवाय कोई और भवन उसकी समता नही कर सकता, विमलशाहने भगवान् आदिनाथका मदिर विक्रम संवत् १०५८ (ईस्वी सन् १०३१) मे वनवाया था। नेमिनाथ भगवान्का मनोज्ञ मदिर तेजपाल वस्तुपाल नामक राजमत्रियोने वनवाया था। विक्रम संवत् १२८७ में इस प्रख्यात मदिरका निर्माण हुआ था। करोडो रुपयोका व्यय कर इस अनुपम मन्दिरकी रचना की गई है। शिल्पशास्त्रके अधिकारी विद्वान्
SR No.010053
Book TitleJain Shasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1950
Total Pages517
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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